विभिन्न व्यसनों से दूर रहे तभी रहोगे टी.बी. संक्रमण से मुक्त- डॉ. रावत
सही खान-पान व सही जीवन शैली से सतत इम्युनिटी बनाए रखे
टीबी के प्रति जागरूकता और जानकारी होना बहुत ही जरूरी।
टीबी का इलाज शत- प्रतिशत संभव, कराए सही समय पर चेकअप और इलाज ।
विश्व क्षय रोग दिवस के उपलक्ष में आयोजित हुई गोष्ठी।
श्रीनगर। विश्व क्षय रोग दिवस के उपलक्ष पर राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में कम्युनिटी मेडिसिन विभाग एवं रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय गोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस एवं पैरामेडिकल के छात्र-छात्राओं ने पोस्टर के माध्यम से टीबी उन्मूलन जागरूकता पर विभिन्न चित्रों के माध्यमों से जानकारी दी।
गोष्ठी में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत ने कहा कि विश्व क्षय रोग दिवस मनाने का उद्देश्य समाज को इस रोग से बचाने के लिए लोगों को जागरूक करना है। उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि क्षय रोग के संदर्भ में एनॉटामी, फिजियोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, पैथालॉजी व मेडिसिन को गहराई व बेहतर ढ़ग से पढ़े और अपना ज्ञान बढ़ाये। ज्ञान बढ़ाने के बाद उसका लाभ जन समुदाय को दे। टीबी मुक्त भारत और टी.बी. मुक्त विश्व बनाना है तो हर एक को टी.बी. के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। प्राचार्य डॉ. रावत ने कहा कि इम्युनिटी एक सबसे बड़ा पार्ट मानव शरीर के लिए होता है। किंतु आज तमाम तरह के व्यसन समाज मे पनप रहे है, जो मानव समाज की इम्युनिटी को कम कर रहे है। जिससे विभिन्न संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
सही खान-पान, सही जीवन चर्या, सामान्य नींद व व्यसन मुक्त बहुत जरूरी है। तभी देश टीबी से जीतेगा और टीबी हारेगा। बेस चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक एवं एनेस्थिसिया विभाग एचओडी डॉ. अजेय विक्रम सिंह ने कहा कि टीबी उन्मूलन के प्रति मेडिकल कॉलेज लगातार अर्बन एवं रूरल क्षेत्र में जागरूकता अभियान चला रहा है। जागरूकता और जानकारी ही टीबी बचाव की प्रथम सीढ़ी है।
रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. विक्की बख्सी ने कहा कि टीबी एक क्रोनिक संक्रामक संक्रमण है जो एयरबॉर्न बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस के कारण होता है। यह आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन लगभग कोई भी अंग इससे प्रभावित हो सकता है। इसके मुख्य लक्षण रात को बुखार आना, शरीर में पसीना आना, दो हफ्ते या इससे अधिक तक खांसी होना, खांसी करते समय खून आना है। कहा कि टीबी का आज शत-प्रतिशत इलाज है, यह तभी संभव है, जब समय पर इलाज किया जाए। कार्यक्रम का संचालन कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के डा. सुरेन्द्र सिंह नेगी द्वारा किया गया। इस मौके पर ब्लड़ बैंक से डॉ. दीपा हटवाल, फार्माकोलॉजी से डॉ. सुरेन्द्र सिंह, डॉ. विवेक द्विवेदी, कम्युनिटी मेडिसिन से डॉ. हरप्रीत सिंह, डॉ. निधि नौटियाल सहित एमबीबीएस छात्र व पैरामेडिकल के छात्र मौजूद थे। कार्यक्रम में टीबी चैम्पियनों द्वारा पहुंचकर अपने अनुभव छात्रों एवं डॉक्टरों के सम्मुख साझा किये।