योग व ध्यान का केन्द्र बनेगी केदार घाटी
वैदिक विवाह स्थल के रूप में विकसित होगा ओकारेश्वर मन्दिर: चण्डी
ऊखीमठ। ओकारेश्वर मन्दिर को वैदिक विवाह स्थल के रूप में विकसित करने तथा केदार घाटी मे योग तथा ध्यान गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पंचकेदार होम स्टे एसोसिएशन की ओर से ओकारेश्वर मन्दिर परिसर में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में विभिन्न क्षेत्रों की महिला मंगल दलों, कीर्तन मण्डलियों व शैक्षणिक संस्थाओं के की ओर से मांगल गीतों, नुक्कड़ नाटकों व सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शानदार प्रस्तुतियां दी गयी।
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कार्यशाला में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले समाज संेवियो को प्रशस्ति पत्र व समृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। सीमान्त अनुश्रवण परिषद उपाध्यक्ष व राज्यमंत्री चण्डी प्रसाद भटट् ने कहा कि केदार घाटी में योग व ध्यान को बढ़ावा देने से स्थानीय तीर्थाटन, पर्यटन व्यवसाय में भारी इजाफा हो सकता है। उन्होंने पंचकेदार होम स्टे एसोसिएशन के प्रयासों की भूरी-भूरी प्रशंसा की। उत्तराखंड पलायन आयोग सदस्य रंजना रावत ने कहा कि ओकारेश्वर मन्दिर को वैदिक विवाह स्थल के रूप में विकसित करने से क्षेत्र के पर्यटन व्यवसाय वर्ष भर संचालित हो सकता है। निवर्तमान नगर पंचायत अध्यक्ष विजय राणा ने कहा कि ओकारेश्वर मन्दिर की विशिष्ट पहचान है। कांग्रेस व्यापार प्रकोष्ठ प्रदेश महामंत्री आनन्द सिंह रावत ने कहा कि ओकारेश्वर मन्दिर को वैदिक विवाह स्थल के रूप में विकसित करने के लिए सामूहिक पहल की आवश्यकता है। जिला पंचायत सदस्य कालीमठ विनोद राणा ने कहा कि यदि क्षेत्र में योग व ध्यान केन्द्र खोलने से युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्राप्त होगें। व्यापार संघ अध्यक्ष राजीव भटट् ने कहा कि ओकारेश्वर मन्दिर उषा अनिरुद्ध के विवाह का साक्षी है।
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एसोसिएशन अध्यक्ष डॉ कैलाश पुष्वाण ने सभी मंचासीन अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आने वाले समय में भी इस प्रकार की कार्यशालाएं आयोजित की जायेगी। इस मौके पर प्रधान पुजारी शिव शंकर लिंग, संरक्षक दिनेश तिवारी, सचिव उपेन्द्र भटट्, उपाध्यक्ष नरेन्द्र रावत, कोषाध्यक्ष जितेन्द्र राणा, प्रकाश पंवार, वेदपाठी विश्व मोहन जमलोकी, नवीन मैठाणी, राजीव गैरोला, सन्दीप पुष्वाण, देवी प्रसाद तिवारी, जगत सिंह पंवार, मदन भटट्, राकेश नेगी, योगेन्द्र नेगी, दलवीर रावत, मनोज नेगी, प्रदीप धर्म्वाण, आशीष नौटियाल, डॉ अजनेश पंवार, पवन राणा जगदीश प्रसाद मैठाणी, जगदीश नेगी, रवीन्द्र पुष्वाण मनोरमा देवी सहित अन्य मौजूद थे।
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