पैंसों के लालच में पिता करवा रहा था बेटी की शादी
मानसिक रूप से विक्षिप्त लड़के से करवाई जा रही थी शादी
रुद्रप्रयाग जिले के विकासखण्ड जखोली का मामला, 12 दिसम्बर को होनी थी महंदी,
वन स्टाॅप सेंटर ने दिखाई तत्परता, गांव पहुंचकर पिता को लगाई लताड़
रुद्रप्रयाग। रुद्रप्रयाग जिले में पैंसो और शराब के लालच में एक पिता की ओर से अपनी नाबालिग बेटी की शादी कराने का मामला प्रकाश में आया है। शादी आगामी 12 दिसम्बर को तय की गई थी, जिसके कार्ड भी छपवाकर लोगों को दिये गये। जब आस-पास के लोगों को यह भनक लगी तो यह जानकरी वन स्टॉप सेंटर और समौण फाउंडेशन को दी, जिसके बाद मामले में तत्परता दिखाते हुए शादी को रोका गया।
दरअसल, जिले के जखोली विकासखण्ड के एक गांव में पिता द्वारा अपनी नाबालिग बेटी की जबरन शादी करवाई जा रही थी। पैंसों के लालच में पिता अपनी लड़की की शादी करवाना चाहता था। हैरत की बात यह कि लड़की की मानसिक रूप से पूरी तरह विकलांग व्यक्ति से तय की गई थी और आगामी 12 दिसम्बर को लड़की की महंदी की रश्म होनी थी। पिता की ओर से बेटी की शादी के कार्ड भी छपवाकर बंटवा दिये गये। इसके बाद आस-पास के लोगों ने सूचना समौण फाउंडेशन के कमल जोशी को दी, जिसके बाद मामले में तेजी से कार्रवाई की गई। जोशी ने बताया कि शराब और पैंसो के लालच में एक पिता ने अपनी नाबालिग बेटी का विवाह जबरन मानसिक विक्षिप्त व्यक्ति से तय कर दिया था, जबकी वह बालिका विवाह नहीं करना चाहती थी। लेकिन पिता के बहुत दबाव डालने पर बेटी विवाह के लिए विवश हो गई। कमल ने बताया की जैसे ही यह सूचना उन्हें मिली तो उन्होंने तत्परता से बाल संरक्षण विभाग व चाइल्ड वेलफेयर एसोसिएशन रुद्रप्रयाग से सम्पर्क किया, लेकिन किन्हीं कारण वश इन विभागों ने इस मामले में खास रूचि नहीं ली। इसके बाद उन्होंने बालिका को बचाने के लिए महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के अंग वन स्टॉप सेंटर की केंद्र प्रशासक श्रीमती रंजना गैरोला भट्ट से संपर्क किया और रंजना ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुंरत अपनी एक टीम बालिका के गांव भेज दी, जहां दस्तावेज देखने पर बालिका के नाबालिग होने की पुष्टि हुई। जांच टीम की महिला केस वर्कर आयुषी को बालिका ने बताया की यदि वह बालिग भी होती तो यह विवाह नहीं करना चाहती थी। क्यूंकि लड़का मानसिक रूप से विक्षिप्त है। लड़के को मिलवाया भी नहीं गया। बस एक बार जंगल में घास काटते हुए काफी दूर से एक व्यक्ति को दिखाया गया था और कहा गया किये तेरा होने वाला पति है। मना करने के बावजूद कुछ दिन बाद लड़के के पिता बिना लड़का लाये ही पिता को सगाई की अंगूठी व कपडे़ देकर सगाई कर दी गई।
नाबालिग बालिका ने बताया कि शादी के कार्ड बंट जाने और सारी तैयारियां हो जाने के साथ ही लोकलाज के कारण वह चुप रही। इसके बाद जांच टीम ने लड़के पक्ष को बुलाया और सख्ती से कानूनी प्रावधान समझाये। जिसके बाद लड़के के पिता ने शादी ना कराने की बात कही और सगाई में दिया गया सारा सामान वापस ले लिया। टीम की ओर से नाबालिग बेटी को उसकी स्वयं की मर्जी पर उसके मामा मामी के संरक्षण में भेज दिया गया, जहां वह आगे पढाई करेगी। समौण फाउंडेशन के कमल जोशी ने कहा कि वन स्टाॅप सेंटर की केन्द्र प्रशासक रंजना गैरोला भट्ट की तत्परता से यह सबकुछ संभव हो पाया है।
गौर करने वाली यह भी है कि रुद्रप्रयाग जनपद में इस तरह के मामले पहले भी आ चुके हैं, जहां पैंसों की एवज में नाबालिग बेटियों का विवाह किया जा रहा था। जबकि सूत्रों की माने तो बेटियों को पैंसों के लिए बेचने का एक बड़ा गिरोह भी काम कर रहा है। यह गिरोह गरीब परिवारों को अपना निशाना बनाता है और परिजनों को पैसों का लालच देकर उनकी बेटियों को जिले से बाहर सहारनपुर, बिजनौर, नजीबाबाद, हरियाणा आदि स्थानों पर बेचा जाता है। बहरहाल, रुद्रप्रयाग स्थित वन स्टॉप सेंटर इस पूरे मामले की छानबीन में जुटा हुआ है और कई लोग उनकी रडार पर भी हैं।