गढ़वाली बोल-भाषा के विस्तार में अहम होगी गढ़वाली व्याकरण
रंगकर्मी, मूर्तिकार प्रेम मोहन डोभाल ने लिखी यह पुस्तक
रुद्रप्रयाग। रंगकर्मी, मूर्तिकार व साहित्यकार प्रेम मोहन डोभाल की पुस्तक स्हॅंगो गढ़वाली व्याकरण का विमोचन किया गया। इस पुस्तक में गढ़वाली शुद्ध लेखन व वाचन के बारे में विस्तार से बताया गया है।
यहां आयोजित सादे समारोह में मुख्य अतिथि संस्कृत महाविद्यालय रुद्रप्रयाग के वेदाचार्य आचार्य राम प्रसाद उपाध्याय, कलश के संस्थापक ओम प्रकाश सेमवाल, लोक कवि जगदंबा चमोला, नंदन सिंह राणा ने संयुक्त रूप से पुस्तक का विमोचन किया। इस मौके पर वक्ताओं ने गढ़वाली बोलीध्भाषा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए इस तरह के प्रयासों को जरूरी बताया। वेदाचार्य उपाध्यक्ष ने कहा कि व्याकरण भाषा को अनुशासित करने का काम करती है। उन्होंने हिंदी, संस्कृत और गढ़वाली में व्याकरण के महत्व के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। लेखक डोभाल का यह कदम, गढ़वाली बोलीध्भाषा को विस्तार में मील का पत्थर साबित होगा। पुस्तक के लेखक प्रेम मोहन डोभाल ने बताया कि वे पिछले कई वर्षों से गढ़वाली व्याकरण लेखन पर काम कर रहे थे। कहा कि, इस कार्य के लिए उन्होंने कई लोगों से विचार-विमर्श करते हुए पुस्तक को अंतिम रूप दिया। उन्होंने अपनी भावी योजनाओं के बारे में बताया कि वह आठ गढ़वाली नाटक लिख रहे हैं, जिनका जल्द प्रकाशन किया जाएगा। साथ ही पंचतंत्र की कहानियों का भी गढ़वाली में अनुवाद करेंगे। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि गढ़वाली व्याकरण से नई पीढ़ी भी अपनी बोली/भाषा में बेहतर काम कर सकेगी। कार्यक्रम में ओमप्रकाश भट्ट, शुशांत भट्ट, ईशान डोभाल, कुनाल डोभाल, सलिल डोभाल, सतेश्वरी डोभाल सहित अन्य लोग मौजूद थे।
