जाखधार में कीवी की दो प्रजातियों पर अन्वेषण शुरू
केदारघाटी में कीवी की बढ़िया फसल उत्पादिन होने के आसार,
कृषि विज्ञान केन्द्र जाखधार के वैज्ञानिकों ने दी जानकारी
रुद्रप्रयाग। कृषि विज्ञान केंद्र जाखधार के वैज्ञानिकों ने कीवी की दो अन्य प्रजातियों पर अन्वेषण शुरू कर दिया है। यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो आगामी दिनों में विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद भी केदारघाटी में कीवी की बढ़िया फसल उत्पादित की जा सकेगी। वैज्ञानिकों की ओर से जाखधार में 2 प्रजातियों की नर्सरी तैयार की जा रही है। इसके साथ ही लाल मूली, कीवी की मोंटी तोगड़ी और हैवर्ड प्रजाति का उत्पादन शुरू कर दिया है। साथ ही बटन मशरूम की खेती शुरू कर दी है।

केवीके के प्रभारी डॉ संजय सचान ने बताया कि विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बाद भी इस स्थान पर कीवी जैसे लाभकारी फल का उत्पादन किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि गत वर्षों से यहां पर तीन प्रजातियों की खेती होती थी, लेकिन अब यहां पर तो अन्य प्रजातियां का पर कार्य शुरू हो चुका है। बताया कि शीघ्र यह अन्वेषण सफल सिद्ध होगा। सचान ने कहा कि कश्मीर का प्रसिद्ध केसर भी केवीके में उत्पादित किया जा रहा है। इसकी नर्सरी लगाई गई है। आगामी दिनों में विस्तृत रूप से इसकी खेती की जाएगी। बताया कि केसरी का बाजारों में बहुत महंगा मूल्य मिलता है। इससे काश्तकारों की आर्थिकी काफी सुदृढ हो जायेगी। माल्टा की दो प्रजाति ब्राजीलियन और ब्लड रेड भी प्रचुर मात्रा में उत्पादित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि क्षेत्र में कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था हो, तो यहां का माल्टा, संतरा, गलगल, नींबू आदि को सुरक्षित कर गर्मी वाले दिनों में इसका विपणन किया जा सकता है। सचान ने बताया कि जो भी फसल केवीके में सफल उत्पादित होगी, उसके बारे में समय-समय पर काश्तकारों को अवगत किया जाएगा। सचान ने कहा कि जो भी काश्तकार सब्जी, फल, फूल आदि के बारे में जानकारी चाहता है। इसके लिए केवीके के वैज्ञानिक काश्तकारों के घर पर जाकर इस संबंध में जानकारी दे सकते हैं।