डेंगू के सीजन में बुखार को हल्के में ना ले, डॉक्टरी सलाह जरूर लें- डॉ. बुटोला
बोले, अस्पताल में आकर डेंगू से संबंधी जांच जरूर कराये,
स्वास्थ्य मंत्री जी के निर्देश पर डेंगू को लेकर ब्लड़ कंपोनेंट की पूरी व्यवस्था
बेस चिकित्सालय में डेंगू से पीड़ित छह मरीज भर्ती
तीन जवान केन्द्रीय प्रशिक्षण केन्द्र एसएसबी के भी भर्ती
श्रीनगर। डेंगू के सीजन आने पर धीरे-धीरे मरीज भी बढ़ने लगे है, इसको देखते हुए बेस चिकित्सालय में दो वार्ड डेंगू के लिए बनाये गये है। अभी डेंगू वार्ड में छह मरीज भर्ती है, जिनका इलाज मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों के निगरानी में चल रहा है। भर्ती मरीजों में केन्द्रीय प्रशिक्षण केन्द्र एसएसबी के तीन जवान भी शामिल है। जबकि दो मरीज चमोली जिले तथा एक टिहरी हिंडोलाखाल क्षेत्र से भर्ती है। मरीजों को बेहतर इलाज मिले इसके लिए पूरी सुविधाएं वार्ड में की गई है। यहीं नहीं डेंगू के सीजन में प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री मा. डॉ. धन सिंह रावत जी के निर्देश पर ब्लड़ बैंक सेंटर में ब्लड़ कंपोनेंट की पूरी व्यवस्था की गई।
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राजकीय मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. केएस बुटोला ने बताया कि डेंगू के सीजन में लोगों को पहले तो डेंगू से बचने के लिए पूरी तरह से सावधानियां बरतनी चाहिए, यदि किसी को तेज बुखार, सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, कमर में दर्द आदि की शिकायत रहती है, तो बिना संकोच किये डॉक्टरी सलाह लेने अस्पताल पहुंचना चाहिए। ताकि ऐसे लक्षण में अस्पताल में डेंगू से संबंधी जांचें कराई जा सके। डॉ. बुटोला ने बताया कि यदि बुखार आने पर कोई डॉक्टर को देखाने नहीं आता है तो इससे जटिलता बढ़ जाती है और इलाज या चेकअप कराने में देरी करने से बुरे परिणाम भी देखने को मिल सकते है। जिसका सभी को ध्यान रखना चाहिए। कहा कि जो भी मरीज अस्पताल में आता है, यदि मरीज में लक्षण दिखाये देते है, तो उसे भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। एक मेल और एक फमेल वार्ड बनाया गया है। मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. केएस बुटोला के नेतृत्व में एसो. प्रोफेसर डॉ. लीना, सीनियर रेजीडेंट डॉ.धीरज, डॉ. जय उत्तरापति, डॉ. योगेश कुमार, डॉ. दिलवर, डॉ. अलका, वार्ड सिस्टर मुक्ता, शालविना, इमरजेंसी विभाग आदि द्वारा मरीजों को चिकित्सा सेवा देने में अहम भूमिका निभा रहे है। वहीं चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आरएस बिष्ट द्वारा भी डेंगू वार्ड में मरीजों को बेहतर सुविधा मिले इसके लिए पूरी व्यवस्था बनाई गयी है।
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”डेंगू बीमारी संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से होता है। इस मच्छर की पहचान है कि यह साइज में बड़ा होता व इसके पैर व पंख में धारियां होती हैं जैसे कि टाईगर ( बाघ) में होती है। इसी कारण इसको टाईगर मच्छर भी कहते हैं। यह साफ पानी में ब्रीड करता है व काटने का समय सूरज उगने व सूरज डूबने के एक घंटा आगे – पीछे होता है व अधिकांश समय पैरों में काटता है। अतः घर के आस पास पानी इकट्ठा ना होने दें। घर के पानी के बर्तन पूर्णतः ढके हो। घर से बाहर निकलने पर शरीर की बाहें व पैर पूर्णतः ढके हो, यह ध्यान रखें। बचाव ही इलाज, यह जीवन पर्यन्त ध्यान रखें।
—डॉ. सीएमएस रावत जी, प्राचार्य मेडिकल कॉलेज श्रीनगर।”
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