जनता गिड़गिड़ा रही, जिम्मेदारों पर नहीं पड़ता फर्क: चैहान
मुजफ्फरनगर कांड की 29वीं बरसी पर ‘ताकि सनद रहे‘ कार्यक्रम का आयोजन
90 वर्षीय राज्य आंदोलनकारी ने राज्य बनने के बाद की स्थिति पर अपनी पीड़ा को किया बयां
अगस्त्यमुनि। उत्तराखंड राज्य चिन्हित आंदोलनकारी 90 वर्षीय इंद्र सिंह चैहान ने उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद की स्थिति पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि जिस राज्य के लिए लड़े, मरे, घर बार तक भुला दिया, आज उसी राज्य में जनभावनाओं को छला जा रहा है। आज छोटी-छोटी मांगों के लिए भी जनता को गिड़गिड़ाना पड़ता है, लेकिन जिम्मेदारों पर फर्क नहीं पड़ता। मैंने बहुत पत्र लिखे, लेकिन न ये सुनने को तैयार और न कुछ करने को तैयार। राज्य आंदोलनकारी ने तहसील मुख्यालय बसुकेदार में प्रकृति संस्था सिल्ली, अगस्त्यमुनि की ओर से मुजफ्फरनगर कांड की 29वीं बरसी पर आयोजित ‘ताकि सनद रहे‘ कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता अपने विचार व्यक्त किए।
प्रकृति संस्था द्वारा ‘ताकि सनद रहे‘ कार्यक्रम का यह 17वां आयोजन था, जो कि बसुकेदार तहसील मुख्यालय पर आयोजित किया गया। कार्यक्रम में उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के दौरान प्रकाशित पोस्टर, पम्पलेट, और पर्चो एवं आंदोलन से जुड़े साहित्य की प्रदर्शनी लगाई जाती है। क्यार्क गांव निवासी इन्द्र सिंह चौहान रामपुर तिराहा काण्ड के चश्मदीद थे। उन्होंने बताया कि उस दिन जो देखा, वो वीभत्स और अमानवीय था। हम बच गए, लेकिन हृदय में आज भी ज्वाला उमड़ती है। आज उम्र के इस पड़ाव में विस्मृति जरूर हो रही है, लेकिन मुझे संघर्ष के वो दिन याद है। लोगों ने कष्ट और भूख सहकर भी आन्दोलन नहीं छोड़ा। राज्य बना तो उम्मीद जगी, लेकिन सरकार यहां की भौगोलिक स्थिति के अनुसार नीति नहीं बना पाई। चिन्हित राज्य आंदोलनकारी मनवर सिंह नेगी ने कहा कि इन 23 सालों में उत्तराखंड शहीदों की मांग वाला राज्य नहीं बन पाया, यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
पूर्व प्रधान डालसिंगी मोहन सिंह भंडारी प्रकृति संस्था की पहल को सामाजिक जागृति का पर्याय बताते हुए कहा कि इस कार्यक्रम से नई पीढ़ी तक राज्य आंदोलन की संघर्ष गाथा पहुंची है। वरिष्ठ नागरिक सुदर्शन सिंह भंडारी ने ताकि सनद रहे कार्यक्रम को शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धाजंलि बताते हुए कहा, आज क्षेत्रीय जनभावनाएं दबा दी गई हैं। कार्यक्रम के आयोजक प्रकृति संस्था के सचिव गजेन्द्र रौतेला ने बताया कि उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के दौरान हुई घटनाओं तथा आन्दोलन की जानकारी नई पीढ़ी को हो, ‘ताकि सनद रहे‘ कार्यक्रम के माध्यम से यह समझाने एवं दिखाने का प्रयास किया जा रहा है। अब तक ‘ताकि सनद रहे‘ कार्यक्रम अगस्त्यमुनि के अलावा, पोखरी, रुद्रप्रयाग, श्रीनगर, ऊखीमठ, कर्णप्रयाग सहित कई शहरों में आयोजित किया जा चुका है।
उनका प्रयास है कि हर बार किसी नये स्थान पर प्रदर्शनी लगाई जाय। कार्यक्रम का संचालन भानु प्रकाश भट्ट ने किया। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ मुजफ्फरनगर कांड के शहीदों को श्रद्धाजंलि देकर हुआ। कार्यक्रम में राज्य चिन्हित आन्दोलनकारी इंद्र सिंह चौहान, मनवर सिंह नेगी और वरिष्ठ पत्रकार अनसूया प्रसाद मलासी को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। इस दौरान निबंध और चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की गई। चित्रकला प्राथमिक वर्ग में आयुष, अदिति, आर्यन, जूनियर वर्ग में वैष्णवी, खुशी, अंजलि, सीनियर वर्ग में श्रेया, रागिनी, निबंध प्रतियोगिता के जूनियर वर्ग में सृष्टि, समीक्षा, इशिका, सीनियर वर्ग में प्राचीन भंडारी ने प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया। इस अवसर पर चौकी की प्रभारी दर्शन सिंह बिष्ट, होमगार्ड मनोज भंडारी, मनमोहन भट्ट, आशीष सेमवाल, प्रेम सिंह भंडारी, भगवती प्रसाद, नवीन सजवाण, बुद्धिबल्लभ भट्ट, अनुरूद्ध भट्ट, भ्यूराज सिंह, अंकित चौहान, गोपाल सिंह नेगी, नारायण सिंह रावत, संदीप भट्ट, चंदू गौड़, विजया भंडारी, रीना भंडारी, कैलाश भंडारी, हर्षवर्धन चैहान और प्रकृति संस्था से गजेंद्र रौतेला, ललिता रौतेला, दीपक बेंजवाल उपस्थित हुए।