बाहरी व्यक्तियों की सलाह से बचने की जरूरत: ममर्गाइं
मठ-मंदिरों पर अनर्गल बातें करने की नहीं है जरूरत
रुद्रप्रयाग। पूर्व दर्जाधारी एवं संस्कृति संरक्षण समिति के प्रदेश संयोजक आचार्य पंडित शिव प्रसाद ममगांई ने कहा कि हमारी देवभूमि उत्तराखंड के चारधाम ही चार मठ हैं और वहां के पुरोहित वहां के शंकराचार्य हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रथा सतयुग से चली आ रही है और यही बात हमारे आदिगुरु शंकराचार्य ने भी सुव्यवस्थित की हैं। वहां की व्यवस्थाओं के बारे में किसी बाहरी व्यक्ति को सलाह देने से बचना चाहिए।
पूर्व राज्यमंत्री और वर्तमान भाजपा के प्रदेश संस्कृति संयोजक आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने कहा कि यमुनोत्री व गंगोत्री शीतकालीन यात्रा के बाद तथाकथित किसी संत द्वारा कही गई बात पर प्रदेश के मुखिया पुष्कर सिंह धामी पहले ही सजग हैं और पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी इन धामों के प्रतिनिधि पदों पर प्रतिष्ठित हैं।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में किसी को भी अनर्गल बातें करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि तत्कालिक सरकार व मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की सलाह से स्थानीय पुरोहितों की राय से उन्हीं के साथ मिलकर शीतकालीन यात्रा खोलने के लिए हरी झंडी यमुनोत्री और गंगोत्री में दिखा दी थी और मंदिर के अन्दर की सुचारू रूप से व्यवस्था वहीं के पुरोहितों से करवाने की सलाह दी थी और बाहर की व्यवस्था के लिए सरकार और मुख्यमंत्री सहित प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, बद्री-केदार मन्दिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय समय-समय पर इसके लिए व्यवस्थाओं में लगे रहते हैं। उन्होंने कहा कि अब मुख्यमंत्री से यमुनोत्री व गंगोत्री का खुशीमठ और मुखीमठ के लिए अधिसूचना जारी करने का निवेदन कर दिया जायेगा, जिसमें चारधाम हक-हकूकधारियों के महामंत्री हरीश डिमरी से भी इस संबंध में बात कर दी गई है।
उन्होंने कहा कि जैसे जोशीमठ से ज्योर्तिमठ की अधिसूचना जारी हुई है। उसी तरह खुसीमठ और मुखीमठ की भी अधिसूचना जारी होनी चाहिए। आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने कहा कि सरकार और भाजपा संगठन तीर्थयात्राओं के लिए उनकी व्यवस्था और यात्रियों को अतिथि देवो भवः की तर्ज पर सत्कार और सम्मान देने के लिए प्रतिबद्ध है।