दानीदाता के सहयोग से तुंगनाथ मंदिर की छतरी का जीर्णोद्धार कार्य शुरू
जीर्ण-शीर्ण छतरी का देवदार की लकड़ी से पहले की तरह किया जा रहा नव निर्माण
ऊखीमठ। बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने विश्व के सबसे ऊंचाई पर स्थित तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ मंदिर की जीर्ण-शीर्ण छतरी का जीर्णोद्धार कार्य विधि-विधान और पूजा अर्चना के बाद शुरू कर दिया है। छतरी जीर्णोद्धार किसी दानीदाता के सहयोग से देवदार की लकड़ी से पहले की तरह नव निर्माण किया जा रहा है। बेहतर कार्य के लिए मंदिर के कलश को भी उतारा गया है।

पंच केदार में शामिल तृतीय तुंगनाथ मंदिर में भगवान शिव के भुजाओं की पूजा होती है। यहां हर साल बड़ी संख्या में तीर्थयात्री पहुंचते है। तुंगनाथ घाटी स्थित चोपता तथा दुग्गलबिट्टा को उत्तराखंड का स्वीटजरलैंड भी कहा जाता है। इन्हीं पड़ावों से होकर तीर्थयात्री भगवान तुंगनाथ के दर्शन को पहुंचते हैं। बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि तुंगनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य पर भी विचार हो रहा है। इस संबंध में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) तथा भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग (जीएसआई) को पत्र लिखा गया है, ताकि विशेषज्ञों की राय के अनुसार मंदिर जीर्णोद्धार का कार्य किया जा सके। बताते चलें कि स्थानीय जनता कई वर्षो से तुंगनाथ मंदिर के शिखर पर स्थित छतरी के जीर्णोद्धार की मांग कर रही थी, लेकिन इस संबंध में कार्य नहीं हो पाया था। बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष का पदभार संभालते ही अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने इस बाबत पहल की। साथ ही दानीदाताओं से संपर्क किया। इसी का नतीजा रहा कि मंदिर के शीर्ष छतरी का जीर्णोद्धार कार्य शुरू हो गया है।

छतरी निर्माण तथा नक्काशी कर रहे कारीगरों द्वारा पूर्व छतरी की तरह देवदार की लकड़ी से नई छतरी का निर्माण किया जा रहा है। इस तरह अब छतरी निर्माण का कार्य अंतिम चरण में है। नई छतरी को अतिशीघ्र मंदिर के शीर्ष पर विराजमान किया जाएगा। इसके लिए मंदिर के शीर्ष कलश को भी मुहुर्त निकाल कर आज रविवार को उतारा गया है। इसी तरह श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी की मंदिर की छतरी का नव निर्माण प्रस्तावित है। इस मौके पर छतरी का जीर्णोद्धार करने वाले दानी दाता संजीव सिंघल के प्रतिनिधि सहित मंदिर समिति के सहायक अभियंता विपिन तिवारी, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल, मंदिर प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्पवाण, अवर अवर अभियंता विपिन कुमार, भूतनाथ के पश्वा राजेंद्र भंडारी, प्रबंधक बलबीर नेगी, दस्तूरधारी अविरत्न धर्म्वाण, रोहन धर्म्वाण, अनंत धर्म्वाण, हरीश धर्म्वाण मठापति रामप्रसाद मैठाणी, रवीन्द्र मैठाणी,भरत मैठाणी, गीताराम मैठाणी, प्रकाश मैठाणी, मुकेश मैठाणी, सतीश मैठाणी, दलीप नेगी, चंद्रमोहन बजवाल आदि मौजूद थे।
