आंखों की रोशनी जीवन भर देगी साथ अगर समय पर हो काला मोतिया का उपचार
एमबीबीएस छात्र-छात्राओं ने काला मोतिया को लेकर निकाली जागरूकता रैली
मेडिकल कॉलेज में आंखों संबंधी इलाज के लिए पूरी सुविधाएं
श्रीनगर। राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के नेत्र विभाग द्वारा विश्व ग्लूकोमा जागरूकता सप्ताह के तहत द वर्ल्ड इज ब्राइट सेव योर साइट थीम पर एक दिवसीय जागरूकता रैली निकाली गई। जिसमें एमबीबीएस के छात्र-छात्राओं द्वारा काला मोतिया से बचने के लिए श्रीनगर मेडिकल कॉलेज परिसर से होते हुए श्रीकोट बाजार में जन-जागरूकता रैली निकाली। जागरूकता रैली के बाद काला मोतिया को लेकर एमबीबीएस छात्र-छात्राओं के बीच विभिन्न प्रतियोगिताएं भी आयोजित हुई।

चिकित्सा शिक्षा एवं चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निर्देश पर विभिन्न विभागों से सम्बन्धित स्वास्थ्य दिवसों एवं स्वास्थ्य सप्ताह पर जागरूकता अभियान चलाये जाने के तहत मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत के निर्देशन में नेत्र विभाग द्वारा विश्व ग्लूकोमा जागरूकता सप्ताह के अवसर आयोजित रैली का शुभारंभ करते हुए मेडिकल कॉलेज की डॉ. विनीता रावत, डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह एवं डॉ. निरंजन ने कहा कि काला मोतिया को लेकर आम लोगों में जागरूकता लाये जाने तथा अस्पताल में मिलने वाली सुविधाओं को लेकर ऐसे जागरूकता अभियान जरूरी है। उन्होंने कहा कि काला मोतिया होने पर जल्द इलाज करना चाहिए, ताकि हर व्यक्ति की आंखे स्वस्थ्य रह सके। इस मौके पर नेत्र विभाग के एचओडी डॉ. एएन पांडेय ने कहा कि काला मोतिया होने के कारण एवं लक्षण और मेडिकल कॉलेज में काला मोतिया परीक्षण के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बेस चिकित्सालय में काला मोतिया के लगभग 6-8 मरीज प्रतिदिन आते है। उन्होंने कहा कि काला मोतिया के कारण जब एक बार आंखों की रोशनी चली जाती है तो उसे दोबारा पाया नहीं जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि आंखों की नियमित अंतराल में जांच कराई जाए। इस मौके पर डॉ. ललित पाठक, डॉ. श्वेता, डॉ. प्रतीक, डॉ. जिज्ञासा, डॉ. अंजलि, डॉ. निकिता, डॉ. राजीव सहित एमबीबीएस के छात्र-छात्राएं मौजूद थे।

काला मोतिया के लक्षण-
काला मोतिया होने पर नजर कमजोर होना या धुंधला दिखाई देना, आंखों और सिर में तेज दर्द होना, रोशनी के चारों ओर रंगीन छल्ले दिखाई देना, आंखे लाल होना, जी मचलाना, उल्टी होना।
काला मोतिया इलाज की बेस चिकित्सालय में सुविधाएं-
काला मोतिया होने पर मरीज के परीक्षण हेतु बेस चिकित्सालय में टोनोमेट्री, पेरीमेट्री, ओसीटी, ऑप्थेल्मोस्कोपी, ग्लूकोमा की लेजर द्वारा सर्जरी एवं दवाईयां उपलब्ध है। चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत द्वारा आंखों संबंधी बीमारियों के इलाज हेतु बेस चिकित्सालय में अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरण उपलब्ध कराये गये है। जिससे आज गढ़वाल क्षेत्र के लोग स्वास्थ्य लाभ ले रहे है।


काला मोतिया के बचाव के उपाय-
काला मोतिया से बचने के लिए नियमित व्यायाम करें, ताकि इंट्रा ऑक्युलर प्रेशर को नियंत्रित किया जा सके। नियमित रूप से आंखों की जांच, ताकि काला मोतिया होने पर जल्द इलाज किया जा सके। आंखों की देखभाल का विशेष ध्यान रखे, आंखों पर लगी गंभीर चोट ग्लूकोमा का कारण बन सकती है। यहीं नहीं परिवार में ग्लूकोमा संबंधी कोई समस्या है तो डॉक्टरों को विस्तार से बताये। डॉक्टर द्वारा यदि आई ड्रॉप की सलाह दी है तो उसको नियमित रूप से आंखे में डाले।






