स्टेडियम बना कोच मिला खेलों की तैयारियां करने में जुटे श्रीनगर शहर के बच्चे
श्रीकोट स्टेडियम में खेल गतिविधियों में प्रतिभाग करने लगे स्थानीय बच्चे
विभिन्न खेलों की ट्रैनिंग ले रहे स्कूली बच्चे
मोबाइल से दूरी बनाने के लिए बच्चों को खेल-कूद पर फोकस कर रहे अभिभावक
खेल विभाग के अधीन नहीं हो पा रही भूमि स्थानांतरण, कई कार्य अभी रूके
मनमोहन सिंधवाल।
श्रीनगर। श्रीनगर के श्रीकोट में सरकार द्वारा बनाये गये स्टेडियम में खेल विभाग पौड़ी द्वारा कोच की नियुक्ति कर दी गई है, कोच की नियुक्ति करने के बाद शहर भर के अभिभावक अपने नौनिहालों को खेल गतिविधियों की तैयारियां कराने के लिए बच्चों को स्टेडियम भेज रहे है। अभिभावकों में भी खुशी है कि स्टेडियम में पहले कोच नहीं हुआ करता था, जिससे उनके बच्चे खेल की तैयारी नहीं कर पाते थे, किंतु अब कोच होने से अभिभावक अपने बच्चों को मोबाइल दुनिया से दूर रखकर खेल-गतिविधियों में शामिल करा रहे है। जिससे बच्चे और अभिभावक काफी उत्साहित है। वर्तमान में 40-45 के लगभग बच्चे पंजीकरण कर विभिन्न खेलों की ट्रैनिंग ले रहे है।

श्रीकोट में बने स्टेडियम में इन दिनों शहर भर के बच्चे विभिन्न खेलों की तैयारियां में जुट गये है। पहले यहां कोई कोच नहीं था, जिससे यहां बच्चे एक टीचर के अभाव में खेल की तैयारियां नहीं कर पाते थे, किंतु खेल विभाग पौड़ी द्वारा 20 किमी वॉक रेस के नेशनल लेवन प्लेयर विकास शाह को कोच के रूप में नियुक्त किया है। जिनके द्वारा श्रीनगर के नौनीहालों में विभिन्न खेलों की तैयारियों के साथ ही फिटनेस संबंधी क्रिया-कलाप कराये जा रहे है। कोच द्वारा एथलेटिक्स, फुटबॉल, क्रिकेट समेत अन्य खेल गतिविधियों की तैयारियां कराई जा रहे है। कोच नियुक्ति होने से अभिभावक धीरे-धीरे अपने बच्चों को खेलों की ट्रैनिंग के लिए स्टेडियम में ला रहे है। शहर के अभिभावकों हेतु पहला अवसर है, कि उनके बच्चों को खेल की दुनिया में आगे बढ़ाने के लिए विशेष ट्रैनिंग दी जा रही है। कोच विकास शाह ने कहा कि स्टेडियम में अभिभावकों द्वारा बच्चों को ट्रैनिंग के लिए लाया जा रहा है, अधिकांश अभिभावको का कहना है कि बच्चे मोबाइल की दुनिया से दूर रहे इसलिए वह बच्चों को खेल गतिविधियों में रूचि बढ़ाने के लिए ट्रैनिंग में ला रहे है। अभिभावक भी कोच रखने से खेल विभाग का आभार प्रकट कर रहे है।

ट्रैक पर लोगों के घुमने से बच्चों की ट्रैनिंग में आ रही दिक्कतें
स्टेडियम में सुबह-शाम घुमने के लिए स्थानीय जनता जाती है, किंतु वह मैदान में घुमने के बजाय रेस के ट्रैक में चलते है, यदि ऐसे में बच्चों की दौड़ भी करानी है तो कैसे कराया जाए। यदि घुमने वाले लोग ट्रैक से हटकर चले तो बच्चों को रेस की तैयारियां करने में दिक्कतें नहीं होगी। जबकि ट्रैक भी खराब हो चुका है। यहीं नहीं मैदान में कम मिट्टी पड़ने से मैदान में कई स्थानों पर पत्थर दिखने लगे है।
खेल विभाग को स्थानांतरित नहीं हो पा रही जमीन
श्रीकोट में जिस भूमि पर स्टेडियम बना हुआ है, वह भूमि अभी तक खेल विभाग को स्थानांतरित नहीं हो पायी है। जिस कारण खेल विभाग स्टेडियम के विकास में होने वाले अन्य कार्य तक नहीं कर पा रहा है। आलम यह कि खेल विभाग अपना बोर्ड तक नहीं लगा पा रहा है। जमीन स्थानांतरित न होने से खेल विभाग यहां पर 400 मीटर का सिंथेटिक एथलेटिक ट्रैक भी नहीं बना पा रहा है। यहीं नहीं रेलवे द्वारा जो स्टेडियम में लाइट लगाई गई वह भी सही स्थान पर नहीं लगाई है। जबकि एक बड़ा नाला स्टेडियम के पास बहता है, जिसे टेप भी नहीं किया गया है। जिससे खिलाड़ियों को अभी दिक्कतें पेश आ रही है। यदि भूमि खेल विभाग के नाम हो जाए तो खेल विभाग स्टेडियम के विकास में कई कार्य कर सकता है।






”स्टेडियम में कोच की नियुक्ति कर दी है, कोच द्वारा विभिन्न खेलों का प्रशिक्षण पंजीकरण करने वाले बच्चों को दिया जा रहा है। कोच मिलने के बाद अभिभावकों एवं बच्चों में उत्साह है और बच्चे ट्रैनिंग लेने पहुंच रहे है। स्टेडियम की जमीन खेल विभाग के अधीन होने की प्रक्रिया गतिमान है, जैसे की भूमि खेल विभाग को स्थानांतरित होगी, वैसे ही स्टेडियम डेवलपमेंट के विभिन्न कार्य शुरु किये जायेगे। यहीं नहीं खेल गतिविधियों को बढ़ाये जाने के लिए खेल विभाग कई कार्य शुरु करेगा—-अनूप बिष्ट, जिला खेल अधिकारी पौड़ी गढ़वाल। ”

स्टेडियम बना कोच मिला खेलों की तैयारियां करने में जुटे श्रीनगर शहर के बच्चे
श्रीकोट स्टेडियम में खेल गतिविधियों में प्रतिभाग करने लगे स्थानीय बच्चे
विभिन्न खेलों की ट्रैनिंग ले रहे स्कूली बच्चे
मोबाइल से दूरी बनाने के लिए बच्चों को खेल-कूद पर फोकस कर रहे अभिभावक
खेल विभाग के अधीन नहीं हो पा रही भूमि स्थानांतरण, कई कार्य अभी रूके
मनमोहन सिंधवाल।
श्रीनगर। श्रीनगर के श्रीकोट में सरकार द्वारा बनाये गये स्टेडियम में खेल विभाग पौड़ी द्वारा कोच की नियुक्ति कर दी गई है, कोच की नियुक्ति करने के बाद शहर भर के अभिभावक अपने नौनिहालों को खेल गतिविधियों की तैयारियां कराने के लिए बच्चों को स्टेडियम भेज रहे है। अभिभावकों में भी खुशी है कि स्टेडियम में पहले कोच नहीं हुआ करता था, जिससे उनके बच्चे खेल की तैयारी नहीं कर पाते थे, किंतु अब कोच होने से अभिभावक अपने बच्चों को मोबाइल दुनिया से दूर रखकर खेल-गतिविधियों में शामिल करा रहे है। जिससे बच्चे और अभिभावक काफी उत्साहित है। वर्तमान में 40-45 के लगभग बच्चे पंजीकरण कर विभिन्न खेलों की ट्रैनिंग ले रहे है।

श्रीकोट में बने स्टेडियम में इन दिनों शहर भर के बच्चे विभिन्न खेलों की तैयारियां में जुट गये है। पहले यहां कोई कोच नहीं था, जिससे यहां बच्चे एक टीचर के अभाव में खेल की तैयारियां नहीं कर पाते थे, किंतु खेल विभाग पौड़ी द्वारा 20 किमी वॉक रेस के नेशनल लेवन प्लेयर विकास शाह को कोच के रूप में नियुक्त किया है। जिनके द्वारा श्रीनगर के नौनीहालों में विभिन्न खेलों की तैयारियों के साथ ही फिटनेस संबंधी क्रिया-कलाप कराये जा रहे है। कोच द्वारा एथलेटिक्स, फुटबॉल, क्रिकेट समेत अन्य खेल गतिविधियों की तैयारियां कराई जा रहे है। कोच नियुक्ति होने से अभिभावक धीरे-धीरे अपने बच्चों को खेलों की ट्रैनिंग के लिए स्टेडियम में ला रहे है। शहर के अभिभावकों हेतु पहला अवसर है, कि उनके बच्चों को खेल की दुनिया में आगे बढ़ाने के लिए विशेष ट्रैनिंग दी जा रही है। कोच विकास शाह ने कहा कि स्टेडियम में अभिभावकों द्वारा बच्चों को ट्रैनिंग के लिए लाया जा रहा है, अधिकांश अभिभावको का कहना है कि बच्चे मोबाइल की दुनिया से दूर रहे इसलिए वह बच्चों को खेल गतिविधियों में रूचि बढ़ाने के लिए ट्रैनिंग में ला रहे है। अभिभावक भी कोच रखने से खेल विभाग का आभार प्रकट कर रहे है।

ट्रैक पर लोगों के घुमने से बच्चों की ट्रैनिंग में आ रही दिक्कतें
स्टेडियम में सुबह-शाम घुमने के लिए स्थानीय जनता जाती है, किंतु वह मैदान में घुमने के बजाय रेस के ट्रैक में चलते है, यदि ऐसे में बच्चों की दौड़ भी करानी है तो कैसे कराया जाए। यदि घुमने वाले लोग ट्रैक से हटकर चले तो बच्चों को रेस की तैयारियां करने में दिक्कतें नहीं होगी। जबकि ट्रैक भी खराब हो चुका है। यहीं नहीं मैदान में कम मिट्टी पड़ने से मैदान में कई स्थानों पर पत्थर दिखने लगे है।
खेल विभाग को स्थानांतरित नहीं हो पा रही जमीन
श्रीकोट में जिस भूमि पर स्टेडियम बना हुआ है, वह भूमि अभी तक खेल विभाग को स्थानांतरित नहीं हो पायी है। जिस कारण खेल विभाग स्टेडियम के विकास में होने वाले अन्य कार्य तक नहीं कर पा रहा है। आलम यह कि खेल विभाग अपना बोर्ड तक नहीं लगा पा रहा है। जमीन स्थानांतरित न होने से खेल विभाग यहां पर 400 मीटर का सिंथेटिक एथलेटिक ट्रैक भी नहीं बना पा रहा है। यहीं नहीं रेलवे द्वारा जो स्टेडियम में लाइट लगाई गई वह भी सही स्थान पर नहीं लगाई है। जबकि एक बड़ा नाला स्टेडियम के पास बहता है, जिसे टेप भी नहीं किया गया है। जिससे खिलाड़ियों को अभी दिक्कतें पेश आ रही है। यदि भूमि खेल विभाग के नाम हो जाए तो खेल विभाग स्टेडियम के विकास में कई कार्य कर सकता है।






”स्टेडियम में कोच की नियुक्ति कर दी है, कोच द्वारा विभिन्न खेलों का प्रशिक्षण पंजीकरण करने वाले बच्चों को दिया जा रहा है। कोच मिलने के बाद अभिभावकों एवं बच्चों में उत्साह है और बच्चे ट्रैनिंग लेने पहुंच रहे है। स्टेडियम की जमीन खेल विभाग के अधीन होने की प्रक्रिया गतिमान है, जैसे की भूमि खेल विभाग को स्थानांतरित होगी, वैसे ही स्टेडियम डेवलपमेंट के विभिन्न कार्य शुरु किये जायेगे। यहीं नहीं खेल गतिविधियों को बढ़ाये जाने के लिए खेल विभाग कई कार्य शुरु करेगा—-अनूप बिष्ट, जिला खेल अधिकारी पौड़ी गढ़वाल। ”
