राज्य स्थापना दिवस पर स्थायी निवास प्रमाण पत्र की प्रतियां जलाई
देहरादून। राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर मूल निवास-भू कानून समन्वय संघर्ष समिति ने घंटाघर स्थित इंद्रमणि बडोनी चौक पर स्थायी निवास प्रमाण पत्र की प्रतियां जलाई। इस मौके पर समिति के सदस्यों ने उपवास रखा।
इंद्रमणि बडोनी चौक पर स्थायी निवास प्रमाण पत्र की प्रतियां जलाने के बाद मूल निवास – भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के सदस्यों ने कहा कि मूल निवास की व्यवस्था खत्म होने से राज्य की अवधारणा ही खत्म हो गई है। उत्तराखंड यहां के मूल निवासियों का नहीं, बल्कि बाहर से आने वाले लोगों का राज्य बनकर रह गया है। राज्य बनने के बाद 45 लाख से अधिक लोग बाहर से आ गए। यह हमारे सभी तरह के संसाधन लूट रहे हैं। हमारी अपनी पहचान खतरे में है और जिस समाज के लिए अपने ही राज्य में ‘पहचान’ का संकट खड़ा हो जाए, उस समाज का भविष्य कभी भी सुरक्षित नहीं रह सकता है। आज हम अपने ही प्रदेश में दूसरे दर्जे के नागरिक बनने के कगार पर पहुंच गये हैं। जिसकी पहचान, संस्कृति, परंपरा और सभी तरह के संसाधन आज खतरे में आ गए हैं। हमारे अपने ही राज्य में हमारी पहचान का संकट खड़ा होने का सबसे बड़ा कारण है मूल निवास की व्यवस्था खत्म होना। मूल निवास का संवैधानिक अधिकार हमसे छीन लिया गया है। वर्ष 1950 में राष्ट्रपति के आदेश के बाद यह व्यवस्था देश के बाकी सभी राज्यों में लागू है। केवल उत्तराखंड ही देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जिसमें मूल निवास के प्रावधान को खत्म कर दिया गया है।