… आखिर क्यूं बद्री केदार मंदिर समिति को उत्तराखंड के लोक गायकों से बैर।
केदारनाथ भगवान के दरबार में उत्तराखंड के लोक गायकों को भी मिलना चाहिए मंच
रुद्रप्रयाग। भगवान केदारनाथ के कपाट आम श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए हैं। कपाट खुलने के बाद से हजारों की संख्या में श्रद्धालु धाम की ओर पहुंच रहे हैं। कपाट खुलने के बाद हर हर शंभू फेम भजन गायिका अभिलिप्सा पंडा ने केदारनाथ धाम के साथ बद्रीनाथ धाम में शानदार भजनों की प्रस्तुति दी। वहीं केदारनाथ धाम और बद्रीनाथ धाम में उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध लोक गायकों को मौका न दिए जाने से लोक संस्कृति से जुड़े कलाकारों ने नाराजगी जताई है।
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बता दें कि मौसम की गड़बड़ी के कारण समय पर हेलीकॉप्टर न मिलने के कारण अभिलिप्सा पंडा कपाट खुलने पर केदारनाथ धाम नहीं पहुंच सकी। बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति ने कपाट खुलने के मौके पर उनके भजनों की प्रस्तुति का कार्यक्रम रखा था, मगर वह बीती शाम को धाम पहुंचने पर अभिलिप्सा के प्रशंसकों ने उनसे हर-हर शंभू भजन की फरमाइश रखी। अभिलिप्सा ने प्रशंसकों को निराश नहीं किया और अपने हर हर शंभू सहित अन्य भजनों की प्रस्तुति दी। उनकी प्रस्तुति पर जहां उत्तराखंड के लोक गायकों ने खुशी व्यक्त की है, वहीं उत्तराखंड के लोक गायकों को मौका नहीं मिलने से नाराजगी जताई गई है।
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उत्तराखंड में प्रसिद्ध लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी, मंगलेश डंगवाल, सौरभ मैठाणी, विक्रम कप्रवान, कुलदीप कप्रवान, गजेंद्र राणा सहित अन्य कई बेहतरीन लोक गायक हैं, जिन्होंने भगवान भोलेनाथ पर अनेकों गीत गाए हुए हैं। इनके गीतों को मिलियन में लोगों ने पसंद किया है। लोक गायक विक्रम कप्रवान और कुलदीप कप्रवान के जय भोले गीत ने तो देश के साथ ही विदेशों में भी धूम मचा रखी है। बावजूद इसके उत्तराखंड के लोक गायकों को केदारनाथ धाम में मौका ना मिलना, कहीं ना कहीं उनका अपमान भी है। ऐसे में बद्री केदार मंदिर समिति को सोचने की आवश्यकता है कि उत्तराखंड के लोक गायकों को भी भगवान केदारनाथ के दरबार में मंच मिलना चाहिए। जिससे उत्तराखंड की पहचान देश दुनिया तक पहुंच सके। ऐसा ना हो कि उत्तराखंड के लोक गायको से बैर किया जाए और उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाई जाए। वहीं विपक्ष ने भी सरकार से उत्तराखंड के लोक गायकों को केदारनाथ धाम में मंच दिये जाने की जबरदस्त मांग की है।
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