किसानों की आर्थिकी मजबूत करने को लेकर ट्राउट मछली उत्पादन को दिया जा रहा बढ़ावा,रुद्रप्रयाग जिले में 45 किसान ट्राउट मछली का कर रहे उत्पादन,स्थानीय स्तर पर लगभग 600 रूपए किलो के हिसाब से बेची जा रही ट्राउट मछलियां,
जखोली ब्लाक के धारकुडी में ट्राउट मत्स्य ब्रुड बैंक का किया गया है निर्माण
रुद्रप्रयाग। रुद्रप्रयाग जनपद में किसानों की आर्थिकी को मजबूत करने के उद्देश्य से मत्स्य विभाग ट्राउट मछली उत्पादन को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है। जखोली ब्लॉक के धारकुडी में ट्राउट मत्स्य ब्रुड (प्रजनक) बैंक विधिवत शुरू हो गया है। मस्त्य विभाग ने डेनमार्क से 6 लाख ट्राउट आइडओवा (अंडे) मंगाकर उनसे शीड तैयार की प्रक्रिया शुरू कर दी। जनवरी माह के अंत में शीड को मांग के अनुसार किसानों को वितरित किए जाएंगे। इससे जहां पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, वहीं स्थानीय लोगों को ट्राउट मछली उत्पादन से रोजगार भी मुहैया होगा। वर्तमान में जनपद में 45 किसान ट्राउट मछली का उत्पादन कर रोजगार से जुडे है। बता दें कि मत्स्य विभाग जिले में ट्राउट मछली उत्पादन को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है। जर्मन प्रजाति की ट्राउट मछली उत्पादन भविष्य में जनपद के किसानों की आर्थिकी का जरिया बनेगा। जखोली ब्लाक के धारकुडी में लगभग 13 नाली भूमि पर ट्राउट मत्स्य ब्रुड बैंक का निर्माण किया गया है। केन्द्र सरकार से स्वीकृत 2 करोड़ 62 लाख से निर्मादायी संस्था पेयजल निर्माण निगम श्रीनगर गढ़वाल ने मार्च वर्ष 2020 में निर्माण कार्य की कार्रवाई शुरू की थी। इसी वर्ष सितम्बर माह से धारकुडी में निर्माणदायी संस्था ने निर्माण कार्य शुरू किया था। क्षेत्र में बिल्डिंग वर्क का कार्य होने के साथ हैचरी का निर्माण पूरा हो गया है। ट्राउट मछलियों के लिए 25 मीटर लंबा एवं 2 मीटर मीटर चौडे दस तालाब भी तैयार किए गए है। जहां प्रजनन के बाद मछली के बच्चों को रखा जाएगा। पिछले वर्ष चार दिसम्बर से मस्त्य ब्रुड बैंक धारकुडी में विभाग ने डेनमार्क से छह लाख ट्राउट मछलियों के आइडओवा (अंडे) मंगाकर हैचरी के माध्यम से फिंगरलिंग तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
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केन्द्र सरकार की नील क्रांति योजना के तहत जर्मन प्रजाति की ट्राउट मछलियों का उत्पादन किया जा रहा है। चार हजार फीट से अधिक ऊंचाई क्षेत्र इसके उत्पादन के लिए अनुकूल रहता है। ट्राउट मछली के लिए 5 से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान बहुत अच्छा रहता है। ट्राउट मछलियों की कीमत अन्य मछलियों से कई गुना अधिक रहती है। यह मछलियां 600 से 1000 रूपए प्रति किलो के हिसाब से बिकती है। यह मछली स्वास्थ्य के लिए लाभकारी व गुणकारी मानी जाती है। आगामी जनवरी अंतिम सप्ताह में अंडे से बने शीड को किसानों को वितरित किए जाएंगे। रुद्रप्रयाग जिले के साथ ही उत्तरकाशी, टिहरी, देहरादून समेत अन्य जनपदों के किसानों को मांग के अनुसार ट्राउट मछलियों के बच्चे दिए जाएंगे। रुद्रप्रयाग जनपद में जिला योजना के तहत ट्राउट मछलियां वितरित की जाएंगी। जिले में जखोली ब्लाक के धारकुडी निवासी कमल सिंह, ऊखीमठ ब्लाक के गैड बस्ती निवासी वीरपाल सिंह एवं अगस्त्यमुनि ब्लाक के लदोली निवासी दिनेश चौधरी समेत 45 किसान ट्राउट मछली उत्पादन में बेहतर कार्य कर रहे है। यह किसान अभी तक साढे चार कुंतल तक मछलियां बेच चुके है। स्थानीय स्तर पर लगभग 600 रूपए किलो के हिसाब से मछलियां बेची जा रही है। इससे उनकी आर्थिकी में काफी इजाफा हुआ है। वहीं जिला प्रभारी मत्स्त्य विभाग रुद्रप्रयाग संजय सिंह बुटोला ने बताया कि जखोली ब्लाक के धारकुडी में ट्राउट मत्स्य ब्रुड बैंक निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है। विभाग ने डेनमार्क से लगभग छह लाख ट्राउट आइडओवा (अंडे) खरीदकर इनसे फिंगरलिंग बनाने का कार्य शुरू कर दिया है। जनवरी माह के अंतिम सप्ताह में किसानों की मांग के अनुसार ट्राउट के फिंगरलिंग वितरित किए जाएंगे। किसानों को उच्च कोटी की मछली उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। ताकि उनकी आर्थिकी में सुधार होने के साथ ही पर्यटन को भी बढावा मिल सकेगा।
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औषधीय गुणों से संपन्न है ट्राउट मछली
रुद्रप्रयाग। ट्राउट मछली औषधीय गुणों से संपन्न होने के साथ ही यह मछली अपने टेस्ट के लिए जानी जाती है। इसे मीठे पानी में पाला जाता है, जिसके लिए किसी पोखर या तालाब की भी मदद ली जा सकती है। इस मछली की खासियत ऐसी है कि देश-विदेश के फाइव स्टार होटलों में भी भारी मांग है। औषधीय गुण होने के कारण भी लोग इसे चाव से खरीदते हैं। इससे मछली पालन करने वाले लोगों को अच्छी कमाई होती है। इस मछली की डिमांड बहुत है, लेकिन सप्लाई सीमित है। इस कारण यह हमेशा महंगे रेट पर बिकती है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य में इसका उत्पादन किया जाता है।
दाने पर भी लाखों में होता है खर्च
रुद्रप्रयाग। एक टैंक या रेसवे में 3-4 हजार ट्राउट का पालन होता है और 2-3 लाख रुपये दाने पर खर्च हो जाते हैं। इस हिसाब से प्रति टैंक डेढ़ से 2 लाख रुपये की इनकम हो जाती है। टैंक में बराबर पानी की सप्लाई चाहिए, इसके लिए पहाड़ी इलाके होने से इसमें मदद मिल जाती है। उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके के नदी-नालों में साल भर ठंडा पानी मिलता रहता है, इसलिए पानी की कोई दिक्कत नहीं आती।
ट्राउट मछ्ली के अंडे से भी होती है अच्छी कमाई
रुद्रप्रयाग। मछली के अलावा ट्राउट मछली का अंडा भी जुटाया जाता है। ये अंडे विदेशों में रिसर्च के लिए जाते हैं और इस पर अच्छी कमाई हो जाती है। मछली का सीड भी अच्छी दर पर बिक जाता है। छोटे किसान मछली पालन के लिए इसे खरीदते हैं। बाकी राज्यों में भी इसकी सप्लाई की जाती है। ट्राउट मछली की ब्रीडिंग का खास सीजन नवंबर से लेकर फरवरी तक होता है। मछलियों के तैयार होने पर नर और मादा की पहचान की जाती है। मादा मछली से अंडे निकाले जाते हैं। इसके बाद मादा मछली का मिल्ट निकाला जाता है और अंडे के साथ मिलाकर फर्टिलाइज किया जाता है। एक मादा मछली एक बार में 1 हजार से लेकर 2 हजार तक अंडे देती है। 2 से 3 साल की मछली ही अंडे देने के लिए मैच्योर होती है।
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