केदारघाटी के युवाओं को मिले हेली कंपनियों में रोजगार: सुमंत
हर साल करोड़ों का कारोबार करके चली जाती हैं ये हेली सेवा कंपनियां
केदारघाटी से 9 से 10 हेली कंपनियां भरती हैं उड़ाने
पर्यावरण को पहुंचाते हैं भारी नुकसान, वन्य जीव जंतुओं के अस्तित्व भी मंडराता है खतरा
रुद्रप्रयाग। बाबा केदारनाथ धाम के लिए हवाई उड़ान भरने वाली हेली कंपनियों की इस बार मनमानी नहीं चलने दी जाएगी। हर बार कंपनियां यहां आकर करोड़ों का व्यापार करके चली जाती हैं और इससे ना ही स्थानीय युवाओं को कोई फायदा मिलता है और ना ही पर्यावरण के क्षेत्र में कोई काम किया जाता है। ऐसे में सिर्फ ये कंपनियां अपना फायदा साधकर यहां के लोगों को बेवकूफ बनाने का कार्य कर रहे हैं।

यहां जारी बयान में जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुमंत तिवाड़ी ने कहा कि केदारनाथ यात्रा के दौरान केदारघाटी से 9 से 10 हेली सेवाएं संचालित होती हैं। करीबन 14 सालों से हवाई सेवाएं केदारघाटी से संचालित हो रही हैं, जबकि केदारनाथ आपदा के बाद से हेली सेवाएं कंपनियों की तादात बढ़ती गई है। ये हेली सेवा कंपनी केदारघाटी से उड़ाने भर रही हैं। यहां के पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा हैं। इनके उड़ाने भरते समय जहां पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचता है, वहीं वन्य जीव जंतुओं जंतु भी विचलित हो जाते हैं। स्थानीय लोगों के मवेशियों को भी इन उड़ानों से परेशानी होती है। इन सब चीजों के बावजूद भी यहां के स्थानीय युवाओं को ये कंपनियां रोजगार नहीं दे रही हैं।

जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुमंत तिवाड़ी ने कहा कि इस बार हेली सेवा कंपनियों की मनमानी नहीं चलने दी जाएगी। इन कंपनियों के दलाल टिकटों को ब्लैक में बेचते हैं। तीर्थयात्रियों से कंपनियों के कर्मचारी बदसलूखी करते रहते हैं। इनकी शिकायतों से यात्री तो परेशान रहते ही हैं। साथ ही स्थानीय लोगों को इन कंपनियों के कारण मुसीबतें उठानी पड़ती हैं। तिवाड़ी ने कहा कि जिन यात्रियों के आॅनलाइन टिकट बुक हो जाते हैं, उन्हें कंपनियों के कर्मचारी बेवकूफ बनाकर परेशान करते हैं। जब तीर्थयात्री यहां पहुंचते हैं तो उन्हें कहा जाता है कि उनका टिकट कैंसिल हो गया है, जबकि इन टिकटों को कैंसिल करने के बाद ये कर्मचारी दूसरों को महंगे दामों पर टिकट को बेचते हैं। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन को अवगत कराया गया है कि इन हेली कंपनियों में स्थानीय युवाओं को वरीयता दी जाए। यहां के लोगों ने अपनी जमीनों को हेलीपैड बनाने को दिए हैं, जबकि यहां का वातावरण भी दूषित हो रहा है। ये हेली कंपनियां हर साल करोड़ों का व्यापार करके चले जाते हैं और क्षेत्र के वातावरण को दूषित कर देते हैं। जिस कारण केदारघाटी के मौसम में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। केदारघाटी का पर्यावरण दूषित होने के साथ ही वन्य जीवों पर भी इसका बुरा असर पड़ा है।

उन्होंने कहा कि एनजीटी के नियमों को ताक पर रखकर हेली सेवाएं उड़ाने भरती हैं। वन पर्यावरण मंत्रालय भी इन पर कार्यवाही करने के वजाय सोया रहता है। उन्होंने कहा कि इस बार जीएमवीएन से हेली टिकट बुकिंग की व्यवस्था को हटाकर आईआरसीटीसी को जिम्मेदारी दी गई है। ऐसे में वे चाहते हैं कि जो भी कंपनियां यहां पर अपनी सेवाएं देने को आ रही हैं, वे तीर्थयात्रियों से अच्छा व्यवहार रखें। साथ ही ब्लैक टिकटिंग पर रोक लगने के साथ ही स्थानीय युवाओं को शत-प्रतिशत रोजगार मिले। जिससे स्थानीय लोगों को इन हेली कंपनियों से फायदा मिल सके। साथ ही पर्यावरण को लेकर भी इन कंपनियों को कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने जिला प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि हेली कंपनियों की मनमानी के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करते हुए स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया करवाया जाए। साथ ही इन कंपनियों पर कड़ी निगरानी भी रखी जाए, जिससे ये अपनी मनमर्जी ना कर सकें और तीर्थयात्रियों को भी राहत मिल सके।



