देवभूमि उत्तराखण्ड को शर्मिंदा कर रहा शराब और मांस का व्यापार
श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंचा रहा केदारनाथ यात्रा पड़ावों में शराब और मांस का व्यापार
केदारनाथ धाम में रह रहे बाबा बर्फानी महाराज ने जताई चिंता
सरकार और शासन-प्रशासन को दिया सुझाव
तीर्थाटन से है देवभूमि के चारधामों की पहचान
केदारनाथ धाम यात्रा को लेकर बाबा बर्फानी ललित महाराज जी के साथ खास बातचीत
रुद्रप्रयाग। देवभूमि उत्तराखण्ड में शराब और मांस के व्यवसाय से संत समाज आहत है। खासकर केदारनाथ यात्रा पड़ावों में मांस का व्यवसाय धड़ल्ले से चलने के कारण संत समाज ने आक्रोश जताया है। उनका कहना है कि देवभूमि उत्तराखण्ड के चारधामों के पड़ावों में इस तरह के व्यवसाय पर रोक लगनी जरूरी है। इससे देश-विदेश से यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्रियों की भावनाओं के साथ ठेस पहुंचती है और वे यहां से अच्छा संदेश लेकर नहीं जाते हैं। साथ ही तीर्थ स्थलों को पर्यटन ना बनाये जाने की बात संत समाज ने की है।

बता दें कि रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय से लेकर केदारनाथ हाईवे के काकड़ागाड़ तक चार से पांच अंग्रेजी शराब की दुकाने संचालित हो रही हैं, जबकि यात्रा मार्ग पर जगह-जगह मांस की दुकानें भी खुली हुई है। यात्रा के दौरान मांस का व्यापार खुलेआम होने और जगह-जगह हाईवे पर शराब की दुकानें खुली होनी से तीर्थयात्रियों की आस्था को ठेस पहुंचती है। ऐसे में संत समाज ने इस बार केदारनाथ यात्रा पड़ावों में शराब और मांस का व्यवसाय बंद करने की मांग की है। साथ ही उन्होंने जिला प्रशासन से इन व्यापारों को यात्रा के दौरान बंद करने की मांग की है। पिछले वर्ष यात्रा के दौरान गौरीकुंड और सोनप्रयाग जैसे मुख्य यात्रा मार्गो पर शराब और मांस का व्यवसाय जोरों से चलने के कारण तीर्थयात्रियों की आस्था को ठेस पहुंचाने का कार्य किया। इसके बाद से यात्रा पड़ावों पर शराब और मांस के व्यवसाय को बंद करने की मांग की जा रही है। साथ ही तीर्थ धाम केदारनाथ को तीर्थ स्थल का क्षेत्र बनाए रखने की बात संत समाज ने की है।

आपदा के बाद से शीतकाल व ग्रीष्मकाल दोनांे सीजनों में धाम में रहकर केदारनाथ बाबा की तपस्या में लीन रहने वाले बाबा बर्फानी से विख्यात ललित राम दास जी महाराज ने देवूभमि उत्तराखण्ड में मांस व मदिरा का व्यवसाय होने पर नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि केदारनाथ धाम में यात्रा की तैयारियों को प्रशासन जुटा हुआ है। देश-विदेश के श्रद्धालु चारधामों के कपाट खुलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इन दिव्य धामों में एक केदारनाथ धाम भी है। केदारनाथ यात्रा को तीर्थाटन बनाये रखने में सरकार और शासन-प्रशासन को सहयोग करने की जरूरत है। यह क्षेत्र मनोरंजन का स्थान नहीं है, बल्कि तीर्थटन का क्षेत्र है। यहां लोग शांति के लिए आते हैं। जो श्रद्धालु पर्यटन की भावना से यहां आते हैं, उन्हें अपना दृष्टिकोण बदलना होगा।

उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड की पहचान इन्हीं धामों से है। कोई नहीं जानता रुद्रप्रयाग और चमोली जिला कहां है, मगर सभी को यह मालूम है कि केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम देवभूमि उत्तराखण्ड में हैं। इसलिए बाहरी राज्यों के लोग उत्तराखण्ड को देवभूमि के नाम से जानते हैं। मांस और मदिरा ये दोनों चीजें आय की व्यवस्था हो सकती है, लेकिन यह व्यवस्था सही नहीं है। इससे श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंच रही है। उन्होंने सरकार और शासन-प्रशासन को सुझाव दिया कि बाबा केदार के धाम में बड़े-बड़े राजनेता, अधिकारी पहुंचते हैं और वे बाबा के सामने नतमस्तक हो जाते हैं। बाबा के पड़ावों में मदिरा और मांस का सेवन बंद किया जाना चाहिए। चारधाम की यात्रा हरिद्वार से प्रारम्भ होती है। पंच बद्री और पंच केदार देवभूमि उत्तराखण्ड में हैं। शराब और मांस का व्यवसाय हमारे देवभूमि के आकर्षण को कम करने का काम कर रहे हैं। यात्रा सीजन में मांस व मदिरा का व्यापार होने से श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंचती है। ऐसे में चारधामा यात्रा शुरू होने से पहले इन दोनों चीजों को तीर्थ स्थलों में प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
