सरकार ने किया चारधाम वाले जनपदों के साथ बहुत बड़ा मजाक
जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप नहीं रहा प्रदेश सरकार का बजट
उत्तराखंड कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सूरज नेगी एवं जिलाध्यक्ष कुंवर सजवाण ने बताया बजट को खोखला
चारधाम यात्रा में सुविधाएं बढ़ाने के नाम पर मात्र 10 करोड़ के प्रावधान की व्यवस्था
रुद्रप्रयाग। प्रदेश सरकार की ओर से ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में उत्तराखंड के वार्षिक बजट को सही तरीके से प्रस्तुत न करने पर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सूरज नेगी एवं जिलाध्यक्ष कुंवर सजवाण ने सरकार की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि सरकार द्वारा पेश किया गया बजट जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप नहीं है। बजट में बहुत से बिंदुओं को छोड़ दिया गया है।
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जिला कांग्रेस कमेटी कार्यालय रुद्रप्रयाग में आयोजित पत्रकार वार्ता में दोनों नेताओं ने कहा कि सरकार ने बजट पेश करने से कुछ दिन पूर्व एक ढकोसला किया कि हम जनता व जनप्रतिनिधियों से राय मशवरा कर आगामी बजट को पेश करेंगे, मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ और सिर्फ खानापूर्ति की गई। कहा कि जिस प्रकार पलायन आयोग की रिपोर्ट में छः हजार गांव ऐसे हैं, जहां आज भी नहीं है, वहीं दूसरी रिपोर्ट में 24 घंटे में 230 लोग पर्वतीय इलाकों को छोड़कर मैदानी क्षेत्र में चले जा रहे हैं। राज्य की आमदनी जहां 35 हजार करोड़ से ज्यादा नहीं है, वहीं बजट 77 हजार करोड़ के लगभग प्रस्तुत किया है। ऐसे में यह बजटीय घाटा सरकार कैंसे पटेगी। उसको कहीं भी नहीं दर्शाया गया है। उन्होंने कहा कि सच्चाई तो यह है कि देश में जीएसटी लागू होने के बाद से उत्तराखंड जैसे छोटे राज्यों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है। जहां उद्योग विभाग को 461 करोड़ का बजट मिला है, यह चिंतनीय विषय है। उद्योग लगाने के बाद प्रदेश के युवा कितने लाभान्वित हुए हैं, जो उद्योगपति यहां इन्वेस्ट कर रहे हैं उनको प्रदेश सरकार की ओर से क्या सुविधाएं दी जा रही हैं और वह बदले में प्रदेश के युवाओं को कितना रोजगार दे रहे हैं। यदि इन उद्योगों में प्रदेश के युवाओं को रोजगार मिलता तो प्रदेश के युवा आज सड़कों पर नहीं होता।
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कांग्रेस नेताओं ने कहा कि प्रदेश में 8,68,000 बेरोजगार पंजीकृत हैं। सरकार ने पिछले वर्ष 121 रोजगार मेले लगाइए, जिनमें मात्र 2,229 लोगों को रोजगार मिला। वहीं सरकार राज्य को पर्यटन के क्षेत्र में अग्रणी बनाने का ढिंढोरा तो पीटती है, लेकिन विभाग को इस बजट में 302 करोड़ पर का प्रबंधन किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रश्न यह उठता है कि जितने पैंसे का प्रावधान किया गया है, उतना धरातल पर खर्च भी होगा। कहा कि जहां पिछले बजट में नंदा देवी गौरा योजना में सरकार ने 500 करोड़ का प्रावधान किया था। उसको इस बजट में घटाकर 282 करोड़ पर सिमट गया है। कुल मिलाकर इस बजट में इतना ही पता चलता है कि राज्य सरकार ने राजस्व वृद्धि के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। उत्तराखंड राज्य खनन और आबकारी से ही अपनी आमदनी कर रहा है। चारधाम यात्रा में सरकार ने सुविधाएं बढ़ाने के नाम पर सिर्फ 10 करोड़ के प्रावधान की व्यवस्था रखी है, जो चारधाम वाले जनपदों के साथ बहुत बड़ा मजाक है।
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