सागर के गढ़वाली जागर हे नंदा हे गौरा ने बांधा समां
बड़ोनी के जन्मदिवस पर बिखरी पहाड़ी संस्कृति, राइंका मयाली में जोरदार कार्यक्रम
रुद्रप्रयाग। उत्तराखंड के गांधी और पृथक राज्य गठन के सबसे बड़े सिपाही इंद्रमणी बड़ोनी के जन्मदिवस पर जखोली ब्लॉक के राजकीय इंटर कालेज मयाली में लोक संस्कृति की जमकर धूम रही। एक तरफ गढ़वाली नृत्यों की धूम और दूसरी तरफ जागर तथा गीतों ने दर्शकों का मन मोह लिया।
राइंका मयाली में स्वर्गीय बड़ोनी के जन्मदिवस पर उनके चित्र पर माल्यर्पण कर पुष्प अर्पित किए गए। जिसके बाद विद्यालय के विभिन्न कक्षाओं की छात्राओं ने लोक संस्कृति पर आधारित सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी। वहीं दसवीं कक्षा के छात्र सागर के गढ़वाली जागर हे नंदा, हे गौरा ने जोरदार समा बांधा। इस जागर ने सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं दसवीं के छात्र कृष्णा ने भी गढ़वाली गीत प्रस्तुत किया। इसके साथ ही आठवीं कक्षा की दृष्टि, सलोनी, समीक्षा और स्मिता ने भी गढ़वाली गीत बरेली को झुमका पर जोरदार प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का समापन करते हुए विद्यालय के प्रभारी प्रधानाचार्य रघुवीर सिंह राणा ने स्वर्गीय बड़ोनी के जीवन काल पर प्रकाश डालते हुए उनके पदचिन्हों चलने की बात कही। कहा कि एक सच्चे वीर और समाज के लिए उनका समर्पण हमेशा याद रहेगा। कार्यक्रम का संचालन विज्ञान प्रवक्ता ने किया।
