श्रीमद भागवत की जन्म भूमि उत्तराखंड का बद्रीधाम: ममगाईं
कंडारा में श्रीमद भागवत पुराण कथा का शुभारंभ,
श्रद्धालुओं ने निकाली 51 जल कलश की शोभा यात्रा
गुप्तकाशी। ऊखीमठ ब्लाॅक के कंडारा में राजराजेश्वरी की रूप छड़ी एवं जल कलश यात्रा के साथ श्रीमद भागवत पुराण कथा का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर 51 भक्तों ने जल कलश यात्रा में प्रतिभाग कर पुण्य अर्जित किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में कथा श्रवण के लिए भक्तजन पहुंचे थे।
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कंडारा में आयोजित श्रीमद भागवत पुराण कथा में प्रथम दिन ब्राह्मणों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ गणेश पूजा, पंचाग पूजा, व्यास पूजा समेत नित्य पूजाएं संपंन की। इससे पूर्व स्थानीय लोगों ने 51 जल कलश की शोभा यात्रा निकाली गई। साथ ही मां राजराजेश्वरी के मन्दिर से रूप चढ़ी एवं श्रीमद भागवत महापुराण सिर पर लिए गए भैरव मंदिर होते हुए शिव महादेव मंदिर होते हुए कथा स्थल पहुंचे। जहां भक्तों के जयकारों से क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय हो उठा। कथा वाचक आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने कहा की भागवत वह ग्रंथ हैं, जो लोक परलोक को सुधारने वाला कालजयी दर्पण है। दर्पण का संबंध वर्तमान से होता है।
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हर अवस्था के वर्तमान को सुधारने वाला श्रीमद भागवत की जन्म भूमि उत्तराखंड का बद्रीधाम है। कहा कि भागवत कथा भक्ति ज्ञान वैराग्य का प्रसंग आपने अज्ञान अहंकार को दूर करने वाले एक ज्ञान रूपी प्रकाश है। भक्ति का मतलब मूल भगवान से संबंध जोड़ना है। ज्ञान का मतलब कर्तव्य बोध के जन कल्याण एवं वैराग्य का मतलब शरीर में कष्ठ सहन करते हुए जन कल्याण का कार्य करना है। उन्होंने अधिक से अधिक से भक्तों को कथा में पहुंचकर पुण्य अर्जित करने की अपील की। इस अवसर पर बद्री केदार समिति के पूर्व अध्यक्ष हरीश डिमरी, महीधर गैरोला, रजनी गैरोला, अनुज, अंकित, कुशलानन्द, प्रदीप, चंद्रप्रकाश, हर्षमनी गैरोला समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
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