भगवती राकेश्वरी को दिए वचनों को पूरा कर रहे ग्रामीण
राकेश्वरी मंदिर रांसी में पौराणिक जागरों का आयोजन
ऊखीमठ। मदमहेश्वर घाटी के ग्रामीणों की आराध्य देवी व पर्यटक गांव रांसी के मध्य में विराजमान भगवती राकेश्वरी के मन्दिर में पौराणिक जागरों के गायन से मदमहेश्वर घाटी का वातावरण भक्ति मय बना हुआ है। सावन मास की संक्रान्ति से भगवती राकेश्वरी के मन्दिर में प्रतिदिन सांय सात बजे से रात्रि नौ बजे तक पौराणिक जागरों का गायन होता है। पौराणिक जागरों के माध्यम से देवभूमि उत्तराखंड के प्रवेश द्वार हरिद्वार से चैखम्बा हिमालय तक पग-पग पर विराजमान सभी देवी-देवताओं की महिमा के साथ भगवान शिव व पार्वती, भगवान श्रीकृष्ण जन्म उत्पत्ति, कंस वध, महाभारत के सभी अध्यायों का वर्णन किया जा रहा है। पौराणिक जागरों का समापन आश्विन महीने की दो गते को दुर्योधन वध, पांडवों का राज्यभिषेक तथा भगवती राकेश्वरी को ब्रह्म कमल अर्पित करने के साथ होगा।
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भगवती राकेश्वरी के मन्दिर में पौराणिक जागरो के गायन की परम्परा युगों पूर्व की है और जागरों के गायन में रांसी व उनियाणा के ग्रामीणों द्वारा सहभागिता की जाती है। राकेश्वरी मन्दिर समिति अध्यक्ष जगत सिंह पंवार ने बताया कि युगों से चली आ रही परम्परा के अनुसार इस वर्ष भी भगवती राकेश्वरी के मन्दिर में पौराणिक जागरो का गायन जारी है तथा पौराणिक जागरों के गायन से रांसी गांव सहित मदमहेश्वर घाटी का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है। पूर्ण सिंह पंवार ने बताया कि पौराणिक जागरों का गायन प्रति दिन सांय सात बजे से शुरू होता है तथा पौराणिक जागरों के समापन पर आरती व भोग वितरण की भी परम्परा है। शिवराज सिंह पंवार ने बताया कि जब भगवती राकेश्वरी रांसी गांव में विराजमान हुई तो उस समय ग्रामीण मीलों दूर से भगवती राकेश्वरी की पूजा करने आते थे। ग्रामीणों ने भगवती राकेश्वरी से रांसी गांव में बसने की प्रार्थना की कि हमें रांसी गांव में निवास करने की अनुमति दी जाए। तब भगवती राकेश्वरी ने ग्रामीणों को वचन दिया की मेरी तप स्थली गांव में बसने पर सभी धार्मिक मर्यादाओं का पालन करना होगा तथा सावन व भाद्रपद में सभी देवी-देवताओं की महिमा का गुणगान करना होगा, तभी मैं प्रसन्न रहूंगी। इसलिए भगवती राकेश्वरी को दिये गये वचन के अनुसार आज भी पौराणिक जागरों के गायन की परम्परा जीवित है। बद्री-केदार मन्दिर समिति के पूर्व सदस्य शिव सिंह रावत ने बताया कि मुकन्दी सिंह पंवार, राम सिंह पंवार, विनोद सिंह पंवार, कार्तिक सिंह खोयाल, उदय सिंह रावत, जसपाल सिंह जिरवाण, अमर सिंह रावत, कुंवर सिंह जिरवाण, कुलदीप सिंह पंवार, जसपाल सिंह खोयाल, लाल सिंह रावत द्वारा पौराणिक जागरों के गायन में सहयोग किया जा रहा है। पंडित ईश्वरी प्रसाद भटट्, भगवती प्रसाद भटट् ने बताया कि इन दिनों पौराणिक जागरों के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण जन्म व कंस वध की महिमा का गुणगान किया जा रहा है।
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