केदारघाटी में अघोषित बिजली कटौती से उपभोक्ताओं में आक्रोश
शीतकालीन गद्दीस्थल आंेकारेश्वर मंदिर में शाम-सुबह होने वाले वेदपाठ हो रहे प्रभावित
गैर सरकारी व सरकारी कार्यालयों में काम-काज ठप
ऊखीमठ। केदार घाटी सहित विभिन्न इलाकों में विगत कई दिनों से हो रही अघोषित विद्युत कटौती से उपभोक्ताओं में विभाग के खिलाफ आक्रोश बना हुआ है, जो कि कभी भी सड़कों पर फूट सकता है। क्षेत्र में हो रही अघोषित बिजली कटौती से भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल आंेकारेश्वर मंदिर में शाम-सुबह होने वाले वेदपाठ प्रभावित होने के साथ ही सरकारी व गैर सरकारी कार्यालयों का कामकाज, नौनिहालों का पठन-पाठन तथा बिजली व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों का व्यवसाय खासा प्रभावित हो रहा है।
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बता दें कि विधुत विभाग की अनदेखी के कारण केदार, कालीमठ, मदमहेश्वर, तुंगनाथ घाटियों में विगत एक माह से लगातार बिजली कटौती किये जाने से उपभोक्ताओं में विभाग के प्रति खासा आक्रोश बना हुआ है। अघोषित कटौती से भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में सुबह-शाम होने वाले वेदपाठ से श्रद्धालु रूबरू नहीं हो पा रहे हैं, जबकि अघोषित कटौती से सरकारी व गैर सरकारी कार्यालयों का कामकाज प्रभावित होने के साथ नौनिहालों का पठन-पाठन तथा बिजली व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों के व्यवसाय पर भी खासा प्रभाव देखने को मिल रहा है। सीमान्त गांवों के जनप्रतिनिधि व ग्रामीण अपने विकास कार्यों तथा नौनिहालों के विभिन्न प्रमाण पत्रों को बनाने के लिए मीलों दूरी का सफर तय करने के बाद तहसील व विकासखण्ड मुख्यालय पहुंचते हैं, मगर आपूर्ति ठप रहने से उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है। कांग्रेस व्यापार प्रकोष्ठ प्रदेश महामंत्री व पूर्व व्यापार संघ अध्यक्ष आनन्द सिंह रावत ने बताया कि क्षेत्र में लगातार हो रही अघोषित कटौती से नौनिहालों का पठन-पाठन खासा प्रभावित होने के साथ बिजली व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों का व्यवसाय भी खासा प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा प्रदेश में अघोषित कटौती होना यहां के जनमानस के साथ सरासर धोखा है। स्थानीय व्यापारी विजय पंवार ने बताया कि क्षेत्र में लगातार हो रही कटौती से व्यापारियों का व्यवसाय खासा प्रभावित हो रहा है। मदमहेश्वर घाटी विकास मंच पूर्व अध्यक्ष मदन भटट् ने बताया कि क्षेत्र में लगातार बिजली कटौती होने से आपदा प्रभावित अंधेरे में रात्रि गुजारने के लिए विवश हैं तथा कटौती होने पर आपदा प्रभावितों के मन में भय पैदा होना स्वाभाविक ही है।
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