संगध एवं औषधीय पौधों की जानकारी होना जरूरी: डीएफओ
वन प्रभाग गुप्तकाशी रेंज के जामू में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला संपंन,
रुद्रप्रयाग। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के उच्च शिखरीय पादप कार्यिकी शोध केंद्र (हैप्रेक) की ओर से सगंध पादपों की पौध उपलब्ध करवाने के साथ ही इसकी खेती को लेकर किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। कार्यक्रम के तहत मंगलवार को वन प्रभाग गुप्तकाशी रेंज फाटा जामू में औषधीय एवं सगन्ध पादपों के संरक्षण एवं कृषिकरण से आजीविका संवर्धन विषय पर आधारित दो दिवसीय कार्यशाला संपंन हुई, जिसमें कृषकों सहित वन विभाग के कर्मचारी-अधिकारियों को जड़ी-बूटी के कृषिकरण व संरक्षण को लेकर जागरूक किया गया।
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कार्यशाला के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि रुद्रप्रयाग वन विभाग के डीएफओ अभिमन्यु सिंह ने कहा कि वन विभाग के कर्मचारी एवं अधिकारियों को संगध एवं औषधीय पौधों की जानकारी होना बहुत जरूरी है। कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम वन विभाग के लिए कारगर सिद्ध होंगे। साथ ही उन्हांेने इस तरह के कार्यक्रमों को समय-समय पर कराएं जाने की बात कही। डीएफओ अभिमन्यु सिंह ने जड़ी-बूटियों का संरक्षण एवं संवर्धन कर उसे आजीविका से जोड़ने पर हैप्रेक की सराहना की। इस मौके पर बतौर मुख्य वक्ता ह्यूमन इंडिया के डाॅ प्रवीण जोशी ने औषधीय एवं सगन्ध पादपों से निर्मित उत्पादों की जानकारी दी। कहा कि कृषक औषधीय एवं पादपों की खेती कर उससे उत्पाद तैयार करके अच्छी आर्थिकी कमा सकते हैं। इस मौके पर कार्यक्रम संयोजिका हैप्रेक विभाग की डाॅ विजय लक्ष्मी त्रिवेदी ने किसानों को खेती के वैज्ञानिकीकरण के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
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उन्होंने कहा कि पारंपरिक खेती को बेहतर करने के लिए तकनीक का सहारा लेना बेहद जरूरी है। ऐसा करने से किसान स्वयं के उपभोग के अलावा विक्रय के लिए भी उत्पादन कर सकते हैं। डाॅ त्रिवेदी ने कहा कि जानवरों से बचाव के लिए औषधीय और सगंध खेती बेहतर विकल्प है। इन पौधों को जानवर नुकसान नहीं करेंगे और आय में भी इजाफा होगा। मंच का संचालन करते हुए हैप्रेक के डॉ अभिषेक जमलोकी ने औषधीय एवं सगंध पादपों की जानकारी दी। कार्यक्रम में जयदेव चैहान ने उच्च हिमालीय औषधीय एवं सगन्ध पादपों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इस अवसर पर हैप्रेक के कुलदीप बिष्ट, करण सिंह रौथाण, कमल पुण्डीर के साथ ही वन बीट अधिकारी विद्या रावत, अजय सेमवाल, कुलजीत नेगी, उदय रावत, राजेश रावत सहित सौ से अधिक काश्तकारों ने प्रतिभाग किया।
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