कविल्ठा गांव में तीन दिवसीय कालिदास समारोह का शुभारंभ,
बच्चों की नृत्य-नाटिका प्रस्तुति ने मोहा दर्शकों का मन
गुप्तकाशी। महाकवि कालिदास भूस्मारक समिति एवं संस्कृति विभाग उत्तराखंड के संयुक्त तत्वावधान में कविल्ठा गांव में तीन दिवसीय कालिदास समारोह का शुभारंभ हुआ। इस दौरान स्थानीय विद्यालयों के छात्र-छात्राओं तथा महिला मंगल दल की महिलाओं ने संस्कृत एवं गढ़वाली भाषा में रचित गीत, नृत्य और नाटिका प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया।
समारोह का शुभारंभ करते हुए बतौर मुख्य अतिथि दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने कहा कि संपूर्ण हिमालय के लिए यह गौरव की बात है कि इस स्थान पर मूर्धन्य कवि कालिदास ने जन्म लिया है। उन्होंने कहा कि निकट बहती और सुर सरिता मंदाकिनी नदी, घाटी में अवस्थित कालीमठ मंदिर, यहां की अबोहवा तथा परंपराओं की विस्तृत विवेचन महाकवि कालिदास के अभिज्ञान शकुंतलम तथा मेघदूत में वर्णित है। डंगवाल ने कहा कि समिति के समस्त पदाधिकारी तथा क्षेत्रीय ग्रामीणों के सहयोग से कई वर्षों से महाकवि कालिदास की जन्मस्थली में इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। उन्होंने आश्वासन दिलाया कि भविष्य में सरकार के साथ मिलकर इस समारोह को विश्व के मंच पर प्रसिद्धि हासिल करवाने के लिए पुरजोर प्रयास किए जाएंगे। विशिष्ट अतिथि पूर्व विभागाध्यक्ष गढ़वाल विश्व विद्यालय श्रीनगर प्रोफे उमा मैठाणी ने कहा कि महाकवि कालिदास जैसे मूर्ख व्यक्ति का मां काली की उपासना के बाद विश्व प्रसिद्ध साहित्यकार तथा मूर्धन्य कवि होना अपने आप में क्षेत्र वासियों के लिए गौरव की बात है।
उन्होंने कहा कि प्रसिद्ध सिद्धपीठ कालीमठ में ही महाकवि कालिदास ने मां काली की उपासना कर यह मुकाम हासिल किया। कार्यक्रम के दौरान श्रीनगर नगर पालिका परिषद के पूर्व अध्यक्ष कृष्णानंद मैठाणी, प्रसिद्ध कवि नीरज मैथानी, डाॅ प्रकाश चमोली ने महाकवि कालिदास द्वारा रचित विभिन्न ग्रंथों में कालिदास की जन्मस्थली कविल्ठा के बारे में वर्णित विभिन्न श्लोक का वाचन कर अपने शोध पत्रों का वाचन किया। त्रिदिवसीय कालिदास समारोह के दौरान 25 नवंबर को एक विशिष्ट कवि को महाकवि कालिदास सम्मान से नवाजा जाएगा। कार्यक्रम के दौरान प्राथमिक विद्यालय, सरस्वती शिशु मंदिर कोटमा, महिला मंगल दल तथा स्थानीय लोगों द्वारा संस्कृति तथा गढ़वाली भाषा पर आधारित विभिन्न नृत्य, नाटिका तथा गीत भी प्रस्तुत किए गए। समिति के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह रावत ने कहा कि वर्षों के तप का यह प्रतिफल है ,कि आज विश्व भर में इस गांव की जय-जयकार हो रही है। उन्होंने कहा कि महाकवि कालिदास की जन्मस्थली कविल्ठ गांव में होने से क्षेत्रवासी फक्र महसूस करते हैं। सरकार से इस समारोह को भव्यता देने की भी अपील की गई है। समिति के महामंत्री सुरेशानंद गौड़ ने संस्कृत भाषा में सभी अतिथियों का अभिवादन किया। इस अवसर पर जिला पंचायत सदस्य सोमेश्वरी भट्ट, पूर्व जिला पंचायत सदस्य मनवर सिंह चौहान, ग्राम प्रधान अरविंद सिंह, रमेश चंद्र भट्ट, चंद्रप्रकाश गौड़, गजपाल राणा, वचन सिंह रावत, कुलदीप सिंह, प्रबल सिंह, भामा देवी, दलवीर सिंह, बलवंत सिंह, दिलबर सिंह, महेश सती, मुकंदी सतकारी, विशंबर भट्ट समेत क्षेत्र के सैकड़ों लोग मौजूद थे।