मिश्रित वनों की भूमिका पर पर्यावरण विशेषज्ञों ने दिया जोर
नई दिल्ली में आयोजित मेरा माटी मेरा देश समृद्धि थीम पर कार्यक्रम
रुद्रप्रयाग से युवा पर्यावरण विशेषज्ञ देवराघवेंद्र बद्री ने लिया कार्यक्रम में भाग
रुद्रप्रयाग। मृदा संरक्षण पर एक दिवसीय कार्यशाला में हिमालयी राज्यों के मृदा संरक्षण पर उठाए जाने वाले कदमों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया गया। साथ ही पर्यावरण एवं मृदा संरक्षण में जमीनी कार्य कर रहे किसानों तथा विशेषजों के साथ कार्य करने की योजना बनाने का आश्वासन भी दिया गया। कार्यक्रम में देश भर से 100 से अधिक किसानों ने शिरकत की, जबकि। वहीं रुद्रप्रयाग जनपद से युवा पर्यावरण विशेषज्ञ देवराघवेंद्र बद्री ने भी कार्यक्रम में भाग लेकर उत्तराखंड में मिश्रित वनों की भूमिका व मृदा संरक्षण पर जोर दिया।
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विश्व मृदा दिवस पर नई दिल्ली में मेरी माटी मेरा देश समृद्धि थीम पर इंडो-जर्मन फेडरेशन तथा ऊर्जा, पर्यावरण, जल परिषद भारत सरकार के तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि नीति आयोग की सचिव नीलम पटेल ने कहा कि पर्यावरण व मृदा संरक्षण के क्षेत्र में भारत सरकार जमीनी स्तर पर कार्य कर रही है। कहा कि प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा दिया जाएगा। जर्मन एजेंसी की रिचार्ड ने भारत को पर्यावरण संरक्षण तथा जैव विविधता के लिहाज से महत्वपूर्ण बताया। कहा कि भारत में पर्यावरण तथा मृदा संरक्षण को लेकर जो भी माॅडल तैयार किया जाएगा, उसे पूरा विश्व अपनाएगा। साथ ही आश्वासन दिया कि मृदा संरक्षण में भारत सरकार पूरा योगदान कर रही है। पर्यावरण एवं मृदा संरक्षण में जमीनी कार्य कर रहे किसानों तथा विशेषज्ञों के साथ कार्य करने की योजना शीघ्र बनाई जाएगी।
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वहीं रुद्रप्रयाग जनपद के युवा पर्यावरण विशेषज्ञ देवराघवेंद्र बद्री ने उत्तराखंड में मिश्रित वनों की भूमिका व मृदा संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि मृदा संरक्षण के लिए जल, जंगल व जमीन को मृदा से जोड़ना होगा। इन सभी का आपसी संबंध गहरा है। मिश्रित वानिकी, जल संरक्षण तथा जैविक उर्वरा निर्माण में गांव-गांव अभियान की तरह कार्य करना होगा। बताया कि कार्यक्रम में जर्मन-इंडो (जीआईसी) व (सीईईडब्ल्यू) की ओर से मृदा संरक्षण पर तैयार ड्राफ्ट का प्रारुप नीति आयोग को सौंपा गया है। कार्यशाला में उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, मेघालय, दक्षिण भारत, हिमांचल प्रदेश, महाराष्ट्री, राजस्थान से किसान व विशेषज्ञों ने प्रतिभाग किया।
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