रुद्रप्रयाग सीट से भाजपा खेले ब्रामण चेहरे पर दांव तो मिल सकती है जीत
सिटिंग विधायक के टिकट कटने के हैं पूरे चांस
कमलेश उनियाल और अजय सेमवाल का नाम सबसे आगे
रुद्रप्रयाग। रुद्रप्रयाग विधानसभा में भाजपा से टिकट को लेकर घमासान मचा हुआ है। बताया जा रहा है कि सिटिंग विधायक का टिकट इस बार कट सकता है, क्योंकि चौधरी की कार्यशैली से जनता में असंतोष बना हुआ है और अगर उन्हें फिर से टिकट दिया जाता है तो पार्टी को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है। सूत्रों की माने तो पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के यहां 9 विधायक ठहरे हुए हैं, जिनका इस बार टिकट कट रहा है। ऐसे में ये सभी दिल्ली हाई कमान से लेकर प्रदेश स्तर पर दबाव बना रहे हैं, जिससे उन्हें टिकट दिया जा सके। मगर इस बार पार्टी कोई भी नुकसान उठाने के मूड में नहीं दिख रही है।
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बता दें कि विधानसभा चुनाव का शंखनाद बज चुका है और 14 फरवरी को वेलेंटाइन के दिन वोटिंग होनी है। ऐसे में टिकट के दावेदार अपने आकाओं के पैरों में पड़े हुए हैं और टिकट दिये जाने की मांग कर रहे हैं। सूत्रों की माने तो इस बार भाजपा से 20 सिटिंग विधायकों के टिकट कट सकते हैं। इसमें रुद्रप्रयाग विधानसभा से भाजपा विधायक भरत सिंह चौधरी का नाम भी शामिल है। सिटिंग विधायक होने के बावजूद 11 लोगों ने दावेदारी पेश की है, जिस कारण पार्टी हाई कमान सोच समझकर निर्णय लेने के मूड में है। अगर पार्टी की ओर से विधायक चौधरी को टिकट दिया जाता है तो कार्य कर्ताओं में भारी आक्रोश पनप सकता है, जो बगावती तेवर भी दिखा सकता है। पहले ही कार्यकर्ता विधायक चौधरी के खिलाफ हैं और इसके बावजूद पार्टी चौधरी को टिकट देती है तो पार्टी में बिखराव के साथ ही हार होनी पक्की है। बताया जा रहा है कि भरत चौधरी त्रिवेंद्र गुट के हैं और अपने सरदार के साथ टिकट देने की मांग पर अड़े हैं।
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रुद्रप्रयाग विधानसभा से जो नाम सबसे आगे है, उनमें भाजपा प्रदेश सह मीडिया प्रभारी कमलेश उनियाल, पूर्व राज्यमंत्री वीरेंद्र बिष्ट एवं भाजपा पूर्व जिला महामंत्री अजय सेमवाल शामिल हैं। ये ही अब प्रमुख दावेदार बताए जा रहे हैं। भाजपा से लेकर संघ तक उनियाल की मजबूत पकड़ होने के साथ ही जनता के बीच बेहतर छवि भी है तो बिष्ट कई बार टिकट की दावेदारी कर चुके हैं और हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगी है। इसके अलावा अजय सेमवाल एक युवा चेहरे हैं। इनकी पार्टी के प्रति समर्पित भावना है, जब वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भरत चौधरी को टिकट मिलने पर तत्कालीन जिलाध्यक्ष आनंद बोहरा ने बगावत करके कांग्रेस में शामिल हो गए थे, वहीं सेमवाल ने मोर्चा संभालते हुए पार्टी प्रत्याशी को जीत दिलाने में रात दिन एक कर दिया। वहीं केदारनाथ सीट से पूर्व विधायक आशा नौटियाल को टिकट ना मिलने पर उन्होंने बगावती तेवर दिखाते हुए कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुई भाजपा प्रत्याशी शैला रानी रावत के खिलाफ चुनाव लड़ा और भाजपा चुनाव हार गई। इतिहास उठाकर देखा जाय तो केदारनाथ से ब्रामण चेहरा और रुद्रप्रयाग से ठाकुर चेहरे पर भाजपा दांव खेलती रही है, मगर कॉग्रेस से भाजपा में शामिल होने के बाद पार्टी ने शैला को प्रत्याशी बना दिया और तब से भाजपा के सामने भी चुनोतियाँ बन गयी हैं और अब केदारनाथ सीट से मंत्री डॉ हरक सिंह रावत के चुनाव लड़ने के कयास लगाये जा रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो भाजपा को रुद्रप्रयाग सीट से ब्राह्मण चेहरे पर दांव खेलना चाइये। ऐसे में पार्टी को जीत हासिल हो सकती है।
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