शारदीय नवरात्रों को लेकर फूलों से सजाया जा रहा कालीमठ
क्षेत्रों के दानियों व मन्दिर समिति के सहयोग से अनेक प्रकार के पुष्पों से सजाया जा रहा मंदिर
ऊखीमठ। सिद्धपीठ कालीमठ में आगामी 15 अक्टूबर से शुरू होने वाले शरादीय नवरात्रों की सभी तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं। विभिन्न क्षेत्रों के दानियों, तीर्थ पुरोहित समाज व मन्दिर समिति के सहयोग से भगवती काली की तपस्थली सिद्धपीठ कालीमठ को अनेक प्रजाति के पुष्पों से सजाया जा रहा है। साथ ही भगवती काली के मुख्य मन्दिर सहित सहायक मन्दिरों को भव्य रूप दिया जा रहा है।
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जानकारी देते हुए प्रबंधक प्रकाश पुरोहित ने बताया कि आगामी 15 अक्टूबर से शुरू होने वाले शरादीय नवरात्रों की सभी तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं तथा सिद्धपीठ कालीमठ को विभिन्न क्षेत्रों के दानियों व मन्दिर समिति के सहयोग से अनेक प्रकार के पुष्पों से सजाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रति वर्ष चैत्र व शरादीय नवरात्रों में सिद्धपीठ कालीमठ में भक्तों का तांता लगा रहता है। इसलिए इन दिनों सिद्धपीठ कालीमठ मन्दिर परिसर को विशेष रूप से सजाया जा रहा है। मठापति अब्बल सिंह राणा ने बताया कि विभिन्न क्षेत्रों के श्रद्धालुओं व मन्दिर समिति के सहयोग से सिद्धपीठ कालीमठ को भव्य रूप देने की सभी तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं तथा 14 अक्टूबर तक सिद्धपीठ कालीमठ को भव्य रूप देने की सभी तैयारियां पूरी कर ली जायंेगी। वेदपाठी रमेश चन्द्र भटट् ने बताया कि सिद्धपीठ कालीमठ सरस्वती नदी के किनारे विराजमान है। स्कन्द पुराण के केदारखंड के अध्याय 82 के श्लोक संख्या 1 से लेकर 33 तक सिद्धपीठ कालीमठ महात्म्य का विस्तृत से वर्णन किया गया है। उन्होंने बताया कि काली क्षेत्र पुण्यदायक, पवित्र, आयु बढ़ाने वाला, दिव्य एवं मनोहर है। इस तीर्थ में भगवती दुर्गा ने काली रूप धारण कर रक्तबीज दैत्य का वध किया था। पंडित दिनेश प्रसाद गौड़ ने बताया कि जो मनुष्य काम, क्रोध, लोभ, मोह, अंहकार का त्याग कर भगवती काली के श्रीचरणों में अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है, उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं तथा वह मनुष्य सांसारिक सुखों को भोगकर अन्त में मोक्ष को प्राप्त होता है।
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