भगवान केदारनाथ के क्षेत्र रक्षक भैरवनाथ के कपाट बंद
अब केदारनाथ धाम के कपाट बंद की तैयारियां हुई तेज
रुद्रप्रयाग। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में अग्रणी भगवान केदारनाथ के क्षेत्र रक्षक के रूप में पूजे जाने वाले बाबा भैरवनाथ के कपाट विधि-विधान और पौराणिक परंपराओं के साथ बंद किए गए। केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी और मंदिर समिति के वेद-पाठियों ने आगामी शीतकाल के लिये भगवान भैरवनाथ के कपाट बंद किए। भैरवनाथ के कपाट बंद होते ही केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होने की तैयारियां भी हो गई हैं। अब भगवान केदारनाथ की विशेष पूजा-अर्चना नहीं होगी, जबकि अन्य पूजाएं भी कम हो जाएंगी।
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केदारनाथ धाम में केदारनाथ से लगभग एक किमी दूर भगवान भैरवनाथ का मंदिर स्थित है। भैरवनाथ को भगवान केदारनाथ का क्षेत्र रक्षक माना जाता है। मान्यता है कि केदारनाथ के कपाट जब शीतकाल में बंद होते हैं तो भैरव बाबा ही केदारनगरी की रक्षा करते हैं। पौराणिक परंपराओं का निर्वहन करते हुये केदारनाथ के कपाट बंद होने से पूर्व भैरवनाथ के कपाट बंद किये जाते हैं। भैरवनाथ के कपाट मंगलवार या फिर शनिवार को ही बंद होते हैं। भैरवनाथ के कपाट बंद होते ही अब केदारनाथ की पूजा-अर्चना भी कम हो जाएंगी। अब बाबा केदार की विशेष पूजा-अर्चना भी नहीं होगी।
शनिवार को केदारनाथ के मुख्य पुजारी शिव लिंग ने ठीक बारह बजे केदारनाथ मंदिर में भोले बाबा की पूजा अर्चना कर भोग लगाया। इसके उपरान्त लगभग एक बजे केदारनाथ के मुख्य पुजारी, तीर्थ पुरोहित एवं बद्री-केदार मंदिर समिति के कर्मचारियों के साथ केदारपुरी की पहाड़ी बसे भैरवनाथ मंदिर पहुंचे, जहां भैरवनाथ के कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू की गई। भैरवनाथ मंदिर में वैदिक मंत्रों के साथ पाषाण मूर्तियों का दूध व घी से अभिषेक किया। तथा वेदपाठी एवं तीर्थपुरोहितों ने मंत्रों के साथ जौ, तिल व घी से हवन किया। इस दौरान यहां पर पूरी, हलवा, पकोडी का प्रसाद बनाकर भगवान को भोग लगाया गया। इस दौरान भैरवनाथ के पश्वा अरविंद शुक्ला पर भैरवनाथ नर रूप में अवतरित हुए, और यहां उपस्थित भक्तों को अपना आशीर्वाद भी दिया। इस दौरान भक्तों के जयकारों से क्षेत्र का वातावतरण भक्तिमय हो गया। मंदिर में करीब दो घंटे चली पूजा-अर्चना के बाद ठीक तीन बजे भगवान भैरवानाथ के कपाट पौराणिक रीति रिवाजों के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। अंत में उपस्थित भक्तों नेे पूरी, हलवा व पकोड़ी को भक्तों ने प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। इस अवसर पर मंदिर समिति के कार्याधिकारी आरसी तिवारी, भैरवनाथ के पश्वा अरविंद शुक्ला, केदारसभा अध्यक्ष राजकुमार तिवारी, धर्माधिकारी ओंकार शुक्ला, मृत्युंजय हीरेमठ, पंकज शुक्ला समेत बड़ी संख्या में भक्तजन उपस्थित थे।
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