रामेश्वरम शिवालय मंदिर में आज से शिव महापुराण का आयोजन
15 जून को पूर्णाहुति एवं भंडारे के साथ कथा का होगा समापन
पांडवों से जुड़ी है मंदिर की मान्यता
रुद्रप्रयाग। बड़मा पट्टी के रामेश्वरम शिवालय मंदिर तिमली में कल से शुरू होने वाले 11 दिवसीय शिवमहापुराण को लेकर मंदिर समिति ने सभी तैयारियां पूरी कर ली है। समिति ने 11 दिनों तक चलने वाले इस धार्मिक अनुष्ठान में अधिक से अधिक भक्तों को आने की अपील की है। ताकि इस कार्यक्रम को सफल बनाया जा सके।
रामेश्वर मंदिर समिति के तत्वाधान में पांच जून से शुरू होन वाले 11 दिवसीय शिव महापुराण को लेकर मंदिर समिति एवं स्थानीय लोगों ने तैयारियां पूर कर ली है। इस धार्मिक अनुष्ठान को लेकर प्रवासी लोग भी बड़ी संख्या में गांव पहुंच रहे है। क्षेत्र की खुशहाली एवं सुख समृद्धि के लिए इस धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। शिव महापुराण कथा में प्रतिदिन कथा वाचक पंडित द्वारिका प्रसाद गौड़ के मुखारबिंद से भक्तों को कथा का रसपान कराया जाएगा। मंदिर के महंत रामेश्वर गिरी महाराज ने बताया कि मंदिर में इस प्रकार के धार्मिक अनुष्ठानों का समय- समय पर आयोजन किया जाता है। उन्होंने कथा श्रवण के लिए प्रतिदिन अधिक से अधिक भकतों से पहुंचने की अपील की है। उन्होंने क्षेत्र की जनता से इस कार्यक्रम को सफल बनाने का आह्वान किया है। बताया कि 14 जून को भव्य जल कलश यात्रा एवं 15 जून को पूर्णाहुति एवं भंडारे के साथ कथा का समापन होगा।
यह है मंदिर की मान्यता
रुद्रप्रयाग। मान्यता है कि गोत्र हत्या के चलते पांडव जब शिव के दर्शन करना चाहते थे, लेकिन भोलेनाथ गोत्र हत्या से मुक्ति पाने वाले पांडवों को दर्शन देना नहीं चाहते थे। तो इस दौरान भोलेनाथ ने रामगंगा और शिवांगी के संगम पर तिमली सेरा में ध्यान लगाया। किवदंति है कि भोलेनाथ ने सन्यासी के स्वरूप में बड़मावासियों के सपने में जाकर अपने मंदिर निर्माण की बात कही थी। जिसके बाद रामेश्वर स्वरूप में पूजा करने की बात कहकर बसुकेदार के लिए प्रस्थान कर गए। तब से अब तक भगवान शिव को यहां पर रामेश्वर स्वरूप में पूजा जाता है। केदारखंड में वर्णित राम गंगा और शिव गंगा के पावन संगम पर स्थित तिमली बड़मा में रामेश्वरम महादेव स्वरूप में शिवलिंग की पूजा आदिकाल से चली आ रही है।