टिकट नहीं मिला तो बगावती तेवर दिखायेंगे कांग्रेस वरिष्ठ नेता गहरवार
पार्टी हाईकमान को दी खुली चुैनाती, टिकट न मिलने पर अन्य दल का थामेंगे दामन
वर्ष 2012 में कांग्रेस प्रत्याशी को जीत दिलाने को लेकर लड़ा था निर्दलीय चुनाव
तीन दशक से कांग्रेस पार्टी से जुड़े हैं पूर्व प्रमुख गहरवार
जिला मुख्यालय में पत्रकारों से वार्ता कर बोले कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह गहरवार
रुद्रप्रयाग। रुद्रप्रयाग विधानसभा से कांग्रेस में घमासान मचने के आसार नजर आ रहे हैं। कांग्रेस वरिष्ठ नेताओं ने बगावती तेवर दिखाना शुरू कर दिया है और पार्टी हाईकमान के सामने खुद की मजबूत दावेदारी पेश की है, जिससे अगर उन्हें टिकट नहीं दिया जाता है तो वे निर्दलीय चुनाव लड़ने के साथ ही किसी अन्य दल के प्रत्याशी का दामन थामने के लिए भी तैयार हैं।
ब्ता दें कि प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। चुनाव को लेकर दावेदारों ने भी जोर आजमाइश शुरू कर दी है। रुद्रप्रयाग विधानसभा से कांग्रेस में कई दावेदार इस बार मैदान में नजर आ रहे हैं, जो अपना टिकट पक्का होने की बात कहकर जनता के बीच जा रहे हैं, जबकि कुछ ऐसे वरिष्ठ नेता भी हैं जो पार्टी हाईकमान के सामने अपने को मजबूत दावेदार बताकर टिकट मांग रहे हैं और टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने के साथ ही किसी अन्य दल के प्रत्याशी के सपोट में खुलकर सामने आने की बात कर रहे हैं।
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तीन दशक से कांग्रेस पार्टी में अपनी विचारधारा रखने कांग्रेस वरिष्ठ नेता एवं पूर्व ज्येष्ठ प्रमुख जखोली अर्जुन सिंह गहरवार ने इस बार खुलकर आगे आकर कांगे्रस हाईकमान को चुनौती दे दी है। उन्होंने जिला मुख्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए साफ तौर पर कहा कि अगर कांग्रेस उन्हें टिकट नहीं देती है तो वे बगावती तेवर दिखाने के साथ ही किसी अन्य दल के प्रत्याशी को अपना समर्थन देंगे। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी मातबर सिंह कंडारी को हराने के लिए निर्दलीय चुनाव लड़ा। क्यों कि कांग्रेस प्रत्याशी डाॅ हरक सिंह रावत अपने साढू भाई के सामने कमजोर नजर आ रहे थे और जखोली विकासखण्ड में भाजपा प्रत्याशी का बहुत बड़ा जनाधार था। ऐसे में उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा, जिससे भाजपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। यह सब एक रणनीति के तहत किया गया, जिसका फायदा कांग्रेस प्रत्याशी को मिला। इस चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ने पर उन्हें सात हजार के करीब वोट मिले। उस दौरान उन्हें राज्यमंत्री बनाये जाने का प्रलोभन दिया गया, मगर कांग्रेस ने यह वादा भी पूरा नहीं किया। कांग्रेस प्रत्याशी को चुनाव जिताने के बाद डाॅ हरक सिंह रावत कांग्रेस के लिए भस्मासुर साबित हुए थे और वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा फिर से इस सीट से चुनाव जीत गई। इस समय रुद्रप्रयाग विधानसभा से कांग्रेस से कोई भी मजबूत प्रत्याशी नहीं है। उन्होंने कहा कि वे उत्तराखण्ड के गांधी स्वर्गीय इन्द्रमणी बड़ोनी के विचारों से आगे बढ़े हैं और इस बार कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ या तो चुनाव लड़ा जायेगा या फिर किसी अन्य दल का दामन थामा जायेगा। पूर्व ज्येष्ठ प्रमुख ने कहा कि भाजपा विधायक ने इन पांच सालों में कोई भी विकास कार्य नहीं किया है, जिसे वे अपनी उपलब्धि बता सकें। एक ओर पूरे प्रदेश में रोजगार को लेकर युवा नौजवान परेशान हैं, वहीं उन्होंने विधायक निधि से युवाओं को ढोलक चिमटा पकड़ा दिया है। यह काम विधायक का नहीं है, जो रोजगार के नाम पर ऐसा कृत्य करें।
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विधायक स्वयं बड़ी गाड़ियों में घूम रहे हैं और खुद खुर्सियों में बैठ रहे हैं, जबकि जनता को धरी में बिठाया जा रहा है। जखोली क्षेत्र में खोला गया कृषि महाविद्यालय की दयनीय स्थिति बनी हुई है, जबकि पाॅलीटेक्निक भवन खण्डर होता जा रहा है। छात्रों को यहां कोई सुविधा नहीं मिल रही है। सैनिक स्कूल का निर्माण कार्य आज तक अधर में लटका हुआ है। तत्कालीन रुद्रप्रयाग विधायक डाॅ हरक सिंह रावत ने सैनिक स्कूल की नीव रखी थी। निर्माण को लेकर दस करोड़ रूपए स्वीकृत कराये गये, जिन पैंसों का वारा-न्यारा किया गया। वर्तमान विधायक क्षेत्र में सड़कों का जाल बिछाने को अपनी उपलिब्ध बता रहे हैं, लेकिन ये विधायक की कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है। क्षेत्र पंचायत, ग्राम पंचायत एवं जिला पंचायत के प्रस्ताव के बिना ही सड़कों का निर्माण कराया गया। इसमें भी विधायक ने अपने चहेतों को कार्य देकर फायदा निकाला है। विधायक भरत सिंह चौधरी के कार्यो से जनता खुश नहीं है। कांग्रेस नेता गहरवार ने कहा कि ज्येष्ठ प्रमुख रहते हुए उन्होंने क्षेत्र का विकास किया। जो कार्य ज्येष्ठ प्रमुख रहते हुए किये गये, उतना ही कार्य विधायक रहते हुए चौधरी कर पाये। कहा कि कुछ तथाकथिक जनप्रतिनिधि जखोली ब्लाॅक का नाम बदलने का प्रयास कर रहे हैं। बिना जनता को विश्वास में लिये और बिना किसी मांग और घोषणा के यह किया जा रहा है। स्वर्गीय सत्ये सिंह राणा ने जखोली विकासखण्ड की नीव रखी थी और उनके रखे गये नाम को ही बदला जाना कहां तक उचित है। यह सरासर स्व राणा का अपमान किया जा रहा है। कहा कि जखोली बचाओ संघर्ष समिति का गठन कर जनता को जागरूक किया जा रहा है और किसी भी सूरत में जखोली ब्लाॅक मुख्यालय का नाम नहीं बदलने दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी को विचार करना होगा। सर्वे कराना होगा और सर्वे के आधार पर ही टिकट देना। इससे यह साबित हो जायेगा कि किस कांग्रेस कार्यकर्ता का जनता के बीच जनाधार है। वरना वे अपना रास्ता बदलने के लिए मजबूर हो जायेंगे।